Sawan 2021: सावन के दूसरे सोमवार को है कृत्तिका नक्षत्र, जानें तिथि और शुभ मुहूर्त

सावन का दूसरा सोमवार नवमी की तिथि पर पड़ रहा है. इसलिए इस दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष पुण्य प्राप्त होगा. मान्यता है नवमी की तिथि में पूजा और शुभ कार्य का फल अक्षय होता है.

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Sawan 2021: सावन के दूसरे सोमवार को है कृत्तिका नक्षत्र, जानें तिथि और शुभ मुहूर्त
सावन का पहला सोमवार बीत चुका है अब सावन के दूसरे सोमवार का शिव भक्तों को इंतजार है.
नई दिल्‍ली:

Sawan Somvar 2021: सावन का महीना आरंभ हो चुका है. सावन का पहला सोमवार बीत चुका है अब सावन के दूसरे सोमवार का शिव भक्तों को इंतजार है. हर भक्‍त पहले से ही सावन के सोमवार की तैयार‍ियां शुरू कर देते हैं. ताक‍ि वह अच्‍छे से पूजा अर्चना कर सकें. सावन में सोमवान का विशेष महत्व बताया है. सावन का दूसरा सोमवार कब है, आइए जानते हैं. 

ग्रहण योग का निर्माण होगा
पंचांग के अनुसार सावन का दूसरा सोमवार 02 अगस्त 2021 को है. इस दिन तिथि नवमी और कृत्तिका नक्षत्र रहेगा. सोमवार को चंद्रमा वृषभ राशि में गोचर करेगा, जहां पर राहु पहले से ही विराजमान है. राहु और चंद्रमा से इस दिन ग्रहण योग का निर्माण होगा.

जानें नवमी तिथि 
02 अगस्त को श्रावण यानि सावन मास की कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि रहेगी. हिंदू धर्म में नवमी की तिथि का विशेष महत्व माना गया है. नवमी की तिथि का संबंध भगवान राम से भी है. भगवान राम का जन्म इसीतिथि में हुआ था. इसके साथ ही इस तिथि में माँ सिद्धिदात्री देवी का पूजन किया जाता है. सावन का दूसरा सोमवार नवमी की तिथि पर पड़ रहा है. इसलिए इस दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष पुण्य प्राप्त होगा. मान्यता है नवमी की तिथि में पूजा और शुभ कार्य का फल अक्षय होता है.

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बन रहा बुधादित्य योग
सावन के दूसरे सोमवार को कृत्तिका नक्षत्र रहेगा. इस नक्षत्र को 27 नक्षत्रों में तीसरा नक्षत्र माना गया है. इस नक्षत्र का स्वामी सूर्य और राशि के स्वामी शुक्र है. 02 अगस्त को सूर्य कर्क राशि में बुध ग्रह के साथ बुधादित्य योग बना रहे हैं. वहीं शुक्र सिंह राशि में मंगल के साथ युति बना रहे हैं. इस नक्षत्र का नाम भगवान शिव के पुत्र कर्तिकेय से जुड़ा है. भगवान कर्तिकेय देवताओं के सेनापति माने जाते हैं.

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भगवान शिव का अभिषेक करें
सावन सोमवार में भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए. इस दिन गंगा जल के साथ अभिषेक करना चाहिए. इस दिन भगवान शिव को चंदन, अक्षत, बेलपत्र धतूरा या आक के फूल चढ़ाने चाहिए. इसके साथ ही घी, शक्कर गेहूं के आटे से बने प्रसाद का भोग लगाना चाहिए. इसके उपरांत धूप-दीप से आरती करें.

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