Sankashti Chaturthi 2021: संकष्टी चतुर्थी पर बप्पा को प्रसन्न करने के लिए पढ़ें ये आरती

आज बुधवार है और चतुर्थी की तिथि है. बुधवार का दिन और चतुर्थी की तिथि गणेश जी को ही समर्पित है. मान्यता के अनुसार ऐसा संयोग विशेष होता है और गणेश जी की पूजा के लिए इस संयोग को अति उत्तम माना गया है.

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Sankashti Chaturthi 2021: संकष्टी चतुर्थी पर पूजा के बाद पढ़ें ये आरती 
नई दिल्ली:

गौरी गणेश को प्रसन्न करने के लिए आज यानी बुधवार (22 दिसंबर 2021) का दिन विशेष है. इस दिन भक्त संकटों को हरने के लिए भगवान श्री गणेश (Lord Ganesha Puja)की पूरी विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना करते हैं. आपको बता दें कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा (Margashirsha Purnima) के बाद पौष माह (Paush Month) की शुरुआत हो चुकी है. पौष माह की चतुर्थी तिथि (Paush Month Chaturthi Tithi) को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2021) मनाई जा रही है. संकष्टी चतुर्थी का व्रत (Sankashti Chaturthi Vrat 2021) इस साल का आखिरी व्रत (Chaturthi Vrat) है. आज बुधवार है और चतुर्थी की तिथि है. बुधवार का दिन और चतुर्थी की तिथि गणेश जी को ही समर्पित है. मान्यता के अनुसार ऐसा संयोग विशेष होता है और गणेश जी की पूजा के लिए इस संयोग को अति उत्तम माना गया है. इसके साथ ही आज पुष्य नक्षत्र भी रहेगा. आज के दिन भगवान गणेश जी की पूजा के बाद उनकी आरती करना विशेष पुण्य प्रदान माना जाता है. 

गणेश जी की आरती | Ganesh Ji Ki Aarti

सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची
कंठी झलके माल मुकताफळांची

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति
जय देव जय देव

रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति
जय देव जय देव

लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना
दास रामाचा वाट पाहे सदना
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति
जय देव जय देव

शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को
दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को
हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को
महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को

जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी
विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी
कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी
गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी

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जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

भावभगत से कोई शरणागत आवे
संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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