जीवन में कष्टों से मुक्ति के लिए किया जाता है शिव चालीसा पाठ, जानिए इसके नियम

शिव चालीसा को शिव पुराण से लिया गया है और शिव पुराण के रचयिता महर्षि वेद व्यास हैं. शिव चालीसा में चालीस पंक्तियां हैं, जिनमें देवों के देव महादेव शिव की स्तुतिगान है. कहते हैं इसे चालीस बार लयबद्ध पाठ करने से भगवान शिव जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. आइए जानते हैं शिव चालीसा पाठ से पहले किन बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है.

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नई दिल्ली:

माघ मास (Magh Month) में भगवान शिव शंकर के पूजन (Shiv Puja) के समय शिव चालीसा (Shiv Chalisa) का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है. शिव चालीसा को शिव पुराण से लिया गया है और शिव पुराण के रचयिता महर्षि वेद व्यास हैं. बता दें कि शिव चालीसा का पाठ पवित्र ग्रंथ देववाणी संस्कृत में लिखी गई है, जिसमें 24 हजार श्लोक हैं. शिव चालीसा का पाठ महादेव को प्रसन्न करने का बेहद ही प्रभावशाली उपाय माना जाता है. महादेव को प्रसन्न करने के लिए शास्त्रों में शिव चालीसा (Shiv Chalisa) का उल्लेख मिलता है. शिव चालीसा में चालीस पंक्तियां हैं, जिनमें देवों के देव महादेव शिव की स्तुतिगान है. कहते हैं इसे चालीस बार लयबद्ध पाठ करने से भगवान शिव जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

मान्यता के अनुसार, शिव चालीसा के पाठ से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. बता दें कि शिवचालीसा का विधि और नियम के अनुसार ही पाठ करना चाहिए, तभी उसका वास्तविक फल प्राप्त किया जा सकता है. बता दें कि शिव चालीसा का पाठ करने से पहले कुछ विशेष नियम का पालन करना बेहद आवश्यक है. आइए जानते हैं शिव चालीसा पाठ से पहले किन बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है.

शिव चालीसा पाठ |Shiv Chalisa Path/Shiv Chalisa Lyriscs in Hindi

दोहा

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

चौपाई

जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥

मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

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देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥

जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥

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त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥

मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥

धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥

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शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥

नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥

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ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥

कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

दोहा

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥


शिव चालीसा पाठ के नियम | Shiv Chalisa Path Niyam

सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान के बाद साफ वस्त्र धारण करें.
पूजा के समय चालीसा का पाठ करने से पहले मुंह पूर्व दिशा में रखें और कुशा के आसन पर बैठ जाएं.
शिव पूजा में सफेद चंदन, चावल, कलावा, धूप-दीप, पुष्प, फूल माला और शुद्ध मिश्री को प्रसाद के लिए रखें.
पाठ करने से पहले गाय के घी का दिया जलाएं और एक कलश में शुद्ध जल भरकर रखें.
शिव चालीसा का 3, 5, 11 या फिर 40 बार पाठ करें.
शिव चालीसा का पाठ सुर और लयबद्ध करें.
पाठ पूरा हो जाने पर कलश का जल सारे घर में छिड़क दें.
थोड़ा जल स्वयं पी लें और मिश्री प्रसाद के रूप में बांट दें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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