Raksha Bandhan 2022: कैसे शुरू हुआ रक्षाबंधन का त्योहार, यहां पढ़ें पौराणिक कथा

Raksha Bandhan 2022: रक्षा बंधन त्योहार से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं. एक कथा के अनुसार, सबसे पहले इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने इंद्र देव को राखी बांधा था.

Raksha Bandhan 2022: कैसे शुरू हुआ रक्षाबंधन का त्योहार, यहां पढ़ें पौराणिक कथा

Raksha Bandhan 2022: रक्षा बंधन के जुड़ी ये है पौराणिक कथा.

खास बातें

  • इस वजह से रक्षा बंधन का त्योहार है खास.
  • सबसे पहले इंद्राणी ने अपने पति इंद्र को बांधी थीं राखी.
  • रक्षा बंधन त्योहार से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं.

Raksha Bandhan 2022: रक्षा बंधन भाई-बहन के प्रेम का सबसे बड़ा उत्सव माना गया है. यह हर साल सावन मास की पूर्णिमा (Sawan Purnima 2022) को रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) का उत्सव मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी (Rakhi 2022) बांधती हैं. साथ ही अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं. जबकि भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देता है. साथ ही इस दौरान भाई-बहन एक दूसरे को मिठाई खिलाते हैं और उन्हें गिफ्ट देते हैं. रक्षा बंधन का त्योहार सबसे बड़े त्योहारों में से एक है. रक्षा बंधन का त्योहार कैसे शुरू हुआ, इसके पीछे की पौराणिक मान्यता क्या है. इसके बारे में जानते हैं.

सबसे पहले इंद्राणी ने पति इंद्र को बांधा था राखी

पौराणिक काल में रक्ष बंधन (Raksha Bandhan 2022) सिर्फ भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक के रूप में नहीं मनाया जाता था. दरअसल इस बात का पता इंद्र और इंद्राणी की पौराणिक कथा (Raksha Bandhan Story) से चलता है. पौराणिक कथा के अनुसार, देवताओं और राक्षसों के बीच में युद्ध चल रहा था, उस युद्ध में इंद्र देव राजा बलि से हार रहे थे. जिसके बाद इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की. भगवान विष्णु के इंद्राणी को एक पवित्र धागा दिया और काहा कि उसे इंद्र की कलाई पर बांध दें. इंद्राणी से वैसा ही किया. जिसके बाद इंद्र देव विजयी हुए.

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सिकंदर की पत्नी ने भेजी राखी

एक अन्य कथा के अनुसार, प्रचलित कहानियों के अनुसार, पूरी दुनिया पर जीत हासिल करने वाले सिकंदर का भारत में पुरु से सामना हुआ. उस समय युद्ध में सिकंदर पराजय हुई. कहा जाता है कि उस समय सिकंदर की पत्नी ने उनकी जान बख्शने के लिए राजा पुरु को राखी भेजी थी. कहा जाता है कि उसके बाद पुरु सिकंदर पर हाथ नहीं उठा सके और उसे बंदी बना लिया था. हालांकि, सिकंदर ने पुरु को राज्य वापस कर दिया था.

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