Ekadashi vrat tut jaye to kya kare: सनातन परंपरा में एकादशी व्रत को भगवान श्री विष्णु की कृपा दिलाने वाला माना गया है. यह व्रत जब श्रावण मास के शुक्लपक्ष में पड़ता है तो इसे पुत्रदा एकादशी व्रत कहा जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार इस व्रत को श्रद्धा और विश्वास के साथ विधि-विधान से रखने और अगले दिन इसका पारण करने से निसंतान लोगों को संतान सुख और पुत्र की कामना करने वालों को पुत्र के रूप में संतान की सुख की प्राप्ति होती है. वहीं जिन लोगों के पहले से ही पुत्र या संतान होती है, श्रीहरि की कृपा से यह व्रत आरोग्य और सौभाग्य प्रदान करता है.
पुत्रदा एकादशी व्रत को करने पर श्री हरि के साथ धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है.यही कारण है कि शुभत्व की कामना लिए प्रत्येक इस व्रत को विधि-विधान से करता है, लेकिन यदि कभी गलती से एकादशी का व्रत टूट जाए तो क्या करना चाहिए, आइए इसे विस्तार से जानते हैं.
क्षमा प्रार्थना
हिंदू धर्म में जिस व्रत को करने से व्यक्ति को संतान सुख, सौभाग्य, आरोग्य और दीर्घायु प्राप्त होती होती है अगर वह भूल से टूट जाए तो व्यक्ति को सबसे पहले स्नान करके भगवान श्री विष्णु से क्षमा याचना करनी चाहिए. हिंदू मान्यता के अनुसार यदि कोई व्यक्ति पवित्र और निर्मल मन से श्री हरि के समक्ष जाने-अनजाने हुए पाप की क्षमा मांगता है, उनसे प्रार्थना करता है, तो श्री हरि उसे क्षमा कर देते हैं.
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मंत्र जप
सनातन पंरपरा में किसी भी पूजा या व्रत आदि में भूल के लिए इस मंत्र को जपने का विधान है. ऐसे में यदि आपसे आज व्रत से जुड़ी कोई गलती हो गई है तो आप श्रीहरि के सामने हाथ जोड़कर इस मंत्र का विशेष रूप से जाप करें.
आवाहनं न जानामि न जानामि तवार्चनम्. पूजां श्चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वर.
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरं. यत्पूजितं मया देव परिपूर्ण तदस्मतु.
दान
हिंदू धर्म में दान की बहुत महिमा बताई गई है. यही कारण है कि लोग तमाम कामनाओं की पूर्ति से लेकर ग्रह दोष समेत तमाम तरह के पापों से मुक्त होने के लिए विभिन्न पर्व आदि अवसर पर दान किया करते हैं. ऐसे में यदि आपसे भूलवश पुत्रदा एकादशी का व्रत खंडित हो गया है तो आज उसके प्रायश्चित करने के लिए यथासंभव जरूरतमंद व्यक्ति को दान करें.
नियम पालन
यदि आपका भूलवश पुत्रदा एकादशी का व्रत टूट गया है तो आप उसके बाद भी इससे जुड़े नियमों का पालन प्रायश्चित के साथ पालन करें. व्रत के दौरान हुई भूल का पश्चाताप और मन की शांति के लिए अधिक से अधिक श्री हरि के मंत्र 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का जप करें.
जारी रखें पूजा और करें पारण
यदि पुत्रदा एकादशी व्रत से संबंधी कोई नियम टूट जाए तो बिल्कुल भी निराश न हों और अगले एकादशी व्रत को विधि-विधान से दोबारा करने का संकल्प लें. साथ ही साथ इस व्रत की पूजा को जारी रखते हुए अगले दिन शुभ समय में विधि-विधान से पारण करें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)