Pitron Ki Photo in Mandir : पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से होती है. इस दौरान 15-16 दिनों तक पितरों (Pitron) के लिए तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2024) के समय पितरों का निवास धरती पर होता है. बहुत से लोग घर के मंदिर में भगवान की प्रतिमा-तस्वीर के साथ पितरों की भी फोटो रख देते हैं लेकिन क्या ऐसा करना सही है. जानिए इसे लेकर वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) क्या कहते हैं...
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क्या घर के मंदिर में पितरों की तस्वीर रख सकते हैं
प्रेमानंद जी महाराज के पास दूर-दूर से भक्त अपनी समस्याएं और सवाल लेकर आते हैं. महाराज जी हर सवाल को ध्यानपूर्वक सुनकर उसका जवाब देते हैं. इन्हीं भक्तों में एक ने महाराज जी से सवाल पूछा कि क्या वह अपने घर के मंदिर में ठाकुर जी के साथ अपने स्वर्गीय माता-पिता की तस्वीर रख सकता है. इसका जवाब प्रेमानंद जी ने दिया.
घर के मंदिर में क्यों नहीं रखनी चाहिए स्वर्गीय माता-पिता की तस्वीर
प्रेमानंद जी ने कहा, 'अगर किसी के मन में है कि आपके ठाकुर जी यानी भगवान आपके माता-पिता ही हैं तो फिर कोई परेशानी नहीं है, क्योंकि ठाकुर जी को जिस भी स्वरुप में मानोगे, वह मिलते हैं. लोग पत्थरों को भी भगवान मानकर पूजते हैं. सबकुछ श्रद्धा और भाव पर निर्भर करता है. ' इसका मतलब साफ है कि अगर स्वर्गीय माता-पिता में भगवत भाव है तो उनकी तस्वीर घर के मंदिर में रखने में कोई दिक्कत नहीं है.
अगर मन में भगवत भाव नहीं हो तो क्या करें
प्रेमानंद जी आगे कहते हैं कि अगर आपके मन में भगवत भाव नहीं है तो स्वर्गीय माता-पिता की तस्वीर घर के मंदिर में लगाने से कोई मंगल नहीं होगा. अगर आप सोचते हैं कि वह सिर्फ आपके पैरेंट्स हैं तो उनकी तस्वीर मंदिर में रखने से बचें. उनकी तस्वीर घर में ही रखें. इसमें कोई हर्ज नहीं है.