Budh Pradosh Vrat 2025: आज है बुध प्रदोष व्रत? जानें प्रदोष काल की पूजा का समय और पूरी विधि

Budh Pradosh Vrat 2025: सनातन परंपरा में प्रदोष व्रत किस देवी या देवता के लिए रखा जाता है? बुधवार के दिन पड़ने पर इस व्रत का क्या फल मिलता है? बुध प्रदोष व्रत की पूजा विधि से लेकर इसे रखने के लाभ आदि के बारे में विस्तार से जानने के लिए पढ़ें ये लेख. 

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बुध प्रदोष व्रत की पूजा विधि, लाभ और उपाय 

Pradosh Vrat Kab Hai: सनातन परंपरा में भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा पाने के लिए प्रदोष व्रत को करने का विधान है. यह व्रत प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है. इस व्रत की पूजा के लिए प्रदोष काल को अत्यधिक शुभ माना गया है. पंचांग के अनुसार सूर्य के अस्त होने और और रात्रि के संधि समय को प्रदोष काल कहा जाता है. जिस दिन यह व्रत पड़ता है, उसी के नाम से जाना जाता है. जैसे आज बुधवार के दिन पड़ने से यह बुध प्रदोष व्रत कहलाता है. आइए बुध प्रदोष व्रत की पूजा विधि और उसके फल आदि के बारे में विस्तार से जानते हैं. 

बुध प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त 

पंचांग के अनुसार भगवान शिव की कृपा बरसाने वाला बुध प्रदोष व्रत आज 20 अगस्त 2025 को रखा जाएगा. पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 20 अगस्त 2025 को दोपहर 01:58 बजे से प्रारंभ होकर 21 अगस्त 2025 को दोपहर 12:44 बजे तक रहेगी. ऐसे में यह व्रत आज रखा जाएगा. बुध प्रदोष व्रत की पूजा के लिए सबसे उत्तम प्रदोष काल शाम को 06:56 से लेकर 09:07 बजे तक रहेगा. इस तरह आज भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए कुल 02 घंटे 12 मिनट का पर्याप्त समय मिलेगा. 

बुध प्रदोष व्रत की पूजा विधि 

आज इस व्रत को करने के लिए सुबह स्नान-ध्यान करने के बाद भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करें और इस व्रत को पूरे दिन नियम-संयम के साथ रखने का संकल्प करें. इसके बाद शाम के समय एक बार फिर स्नान करने के बाद तन और मन से पवित्र हो जाएं और प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की पुष्प, फल, चंदन, आदि से पूजा करें. आज प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को उनकी प्रिय चीजें जैसे रुद्राक्ष, बेलपत्र, शमीपत्र, धतूरा आदि अवश्य चढ़ाएं.

भगवान शिव की पूजा करने के बाद प्रदोष व्रत की कथा कहें और उसके बाद रुद्राक्ष की माला से शिव मंत्र का जप करें. पूजा के अंत में महादेव की आरती करके स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें और दूसरों को भी बांटें. बुध प्रदोष व्रत का शुभ फल पाने के लिए किसी सुहागिन महिला को हरे रंग का वस्त्र, हरे रंग की चूड़ी और श्रृंगार का सामान भेंट करें. 

कब पड़ेगा अगला प्रदोष व्रत 

पंचांग के अनुसार अगला प्रदोष व्रत 05 सितंबर 2025 को पड़ेगा. शुक्रवार के दिन यह व्रत पड़ने के कारण शुक्र प्रदोष व्रत कहलाएगा. इस दिन प्रदोष व्रत की पूजा शाम को 06:38 से लेकर 08:55 बजे तक रहेगी. सनातन परंपरा के अनुसार शुक्र प्रदोष व्रत को करने से स्त्रियों को सौभाग्य, सौंदर्य, वैवाहिक सुख, धन आदि की प्राप्ति होती है. व्रत के शुभ प्रभाव से शिव-पार्वती के साथ माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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