Pradosh Vrat 2022: आज है माघ माह का अंतिम प्रदोष व्रत, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

माघ माह में शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत इस बार आज सोमवार को पड़ रहा है, इसीलिए यह सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat) कहलाएगा. इस दिन देवों के देव महादेव (Lord Shiva) और माता-पार्वती की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. आइए जानते हैं कि प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त (Puja Muhurat)और  विधि.

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Pradosh Vrat 2022: जानिए प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
नई दिल्ली:

हर मास की त्रयोदशी तिथि (Trayodashi) को प्रदोष व्रत रखा जाता है. वैसे तो सप्ताह के सातों दिनों को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को नाम से पुकारा जाता है, लेकिन माघ माह में शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत आज सोमवार को पड़ रहा है, इसीलिए यह सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat) कहलाएगा. इस दिन देवों के देव महादेव (Lord Shiva) और माता-पार्वती की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है.

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इस बार माघ माह में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी का प्रदोष व्रत आज 14 फरवरी (सोमवार) को है. माना जाता है कि सोम प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2022) करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. आइए जानते हैं कि प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त (Puja Muhurat)और  विधि.


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प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

  • माघ, शुक्ल त्रयोदशी- सोमवार 14 फरवरी, 2022 को है.
  • शुक्ल त्रयोदशी तिथि प्रांरभ- 13 फरवरी को संध्या काल में 6 बजकर 42 मिनट पर शुरु.
  • शुक्ल त्रयोदशी तिथि का समापन-14 फरवरी को रात में 8 बजकर 28 मिनट पर होगा. 
  • सोम प्रदोष व्रत के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त- संध्याकाल में 6 बजकर 10 मिनट से शुरू होकर रात्रि में 8 बजकर 28 मिनट तक है.

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प्रदोष व्रत पूजा विधि |  Pradosh Vrat Puja Vidhi

  • द्वादशी तिथि के दिन तामसिक भोजन ग्रहण ना करें.
  • त्रयोदशी को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान से निर्मित हो जाएं.
  • अंजिल में गंगाजल रख आमचन कर अपने आप को शुद्ध और पवित्र करें.
  • घर के पूजा घर में दीपक जलाएं और शिवजी को प्रणाम करें.
  • सबसे पहले भगवान सूर्य को जल का अर्घ्य दें. 
  • भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा फल, फूल, धूप, दीप, अक्षत, भांग, धतूरा, दूध,दही और पंचामृत से करें. 
  • पूजा करते समय शिव चालीसा का पाठ, मंत्रों का जाप जरूर करें. 
  • पूजा के आखिर में आरती कर भगवान शिव और माता पार्वती से अन्न, जल और धन की कामना करें. 
  • संभव हो तो दिनभर उपवास रखें.
  • शाम के समय आरती-अर्चना करें और फिर फलाहार करें. 
  • अगले दिन पूजा-पाठ संपन्न कर व्रत खोलें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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