Pitru Paksha 2025 Plants: पितृपक्ष में इन 5 पौधों को लगाने से दूर होगा पितृदोष और बरसेगा पितरों का आशीर्वाद

Pitru Paksha 2025: सनातन परंपरा में कुछ पेड़ और पौधे ऐसे हैं, जिनका संबंध ​पितरों से जोड़कर देखा जाता है. पितृपक्ष में आखिर किन पेड़ों की पूजा करने या फिर उसे लगाकर सेवा करने पर पितर अपना आशीर्वाद बरसाते हैं. पितरों से जुड़े ऐसे ही 5 पेड़ों के बारे में जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख. 

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Trees of Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष से जुड़े पवित्र पौधे

Sacred Trees of Pitru Paksha 2025: सनातन परंपरा में साल भर में एक ऐसा पक्ष आता है, जब लोग अपने पितरों को अन्न जल देकर विधि-विधान से उनका श्राद्ध करते हैं. महालय या पितृपक्ष कहलाने वाला यह पखवाड़ा इस साल 07 से 21 सितंबर 2025 के बीच रहेगा. हिंदू मान्यता के अनुसार इन 15 दिनों में श्रद्धा के साथ श्राद्ध और तर्पण करने से पितर संतुष्ट और प्रसन्न होते हैं और हम पर दोनों हाथों से आशीर्वाद बरसाते हैं. श्राद्ध के अलावा पितृपक्ष में वृक्षों को लगाने, उनकी पूजा और सेवा करने से भी पितरों की कृपा प्राप्त होती है. आइए उन देव समान वृक्षों के बारे में विस्तार से जानते हैं. 

1. पीपल का पेड़ 

हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. मान्यता है कि इस पेड़ की जड़ में पर​मपिता ब्रह्मा जी, तने में श्री हरि और सबसे ऊपर देवों के देव महादेव निवास करते हैं. हम सभी जानते हैं कि पीपल की पूजा करने से धन की देवी मां लक्ष्मी और शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है, लेकिन इसी पीपल की पूजा से पितर भी प्रसन्न होते हैं. मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति पितृपक्ष में पीपल का पेड़ लगाता है और उसकी पूजा, सेवा करता है तो उसके पितर प्रसन्न होकर उस पर अपना आशीर्वाद बरसाते हैं. उस व्यक्ति के पितृदोष से जुड़े सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. पितृपक्ष में पीपल के नीचे प्रतिदिन शाम के समय सरसों के तेल में काले तिल डालकर दीया जलाना चाहिए. 

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2. बरगद का पेड़

हिंदू धर्म में वट या फिर कहें बरगद के पेड़ की पूजा अत्यधिक फलदायी मानी गई है. वट की पूजा करने पर व्यक्ति को लंबी आयु और मोक्ष का आशीर्वाद प्राप्त होता है. मान्यता है कि पितृपक्ष में यदि कोई व्यक्ति वट का वृक्ष लगाकर उसकी सेवा करता है तो पितृ देवता शीघ्र ही प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद बरसाते हैं लेकिन ध्यान रहे कि बरगद का पेड़ कभी भूलकर भी घर में नहीं लगाना चाहिए. जिन लोगों को इस बात का आभास होता है कि उनके पितरों की मुक्ति नहीं हुई है और वे भटक रहे हैं, उन्हें विशेष रूप से वट वृक्ष के नीचे बैठकर शिव साधना करनी चाहिए. 

3. तुलसी का पौधा

हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व माना गया है. मान्यता है कि तुलसी का पौधा जिस घर में होता है, उस घर के सभी वास्तु दोष स्वत: ही दूर हो जाते हैं. तुलसी को विष्णुप्रिया कहा गया है, जिसके बगैर श्री हरि की पूजा अधूरी मानी जाती है. मान्यता है कि पितृपक्ष में तुलसी का पौधा लगाने और उसके नीचे प्रतिदिन शुद्ध घी का दीया जलाने से पितर प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद बरसाते हैं. 

4. बेल का पेड़ 

हिंदू धर्म में बेल के पेड़ का संबंध शिव से जोड़कर देखा जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार ​बेल का फल हो या फिर बेल का पत्र, दोनों में से किसी एक चीज को चढ़ाने मात्र से ही महादेव प्रसन्न होकर जीवन से जुड़े सभी दोष दूर और मनोकामनाएं पूरा करते हैं. ऐसे में पितृपक्ष में यदि आप बेल का पौधा लगा कर उसकी सेवा करते हैं तो आप पर शिव के साथ पितृकृपा बरसती है. मान्यता है कि पितृपक्ष में बेलपत्र पर श्रीराम लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाने मात्र से ही पितृदोष जैसी पीड़ा से मुक्ति मिलती है. 

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5. अशोक का पेड़

हिंदू धर्म में अशोक के पेड़ को शोक हरने वाला पेड़ माना जाता है. मान्यता है​ कि अशोक इसी पेड़ के नीचे कभी माता सीता का शोक दूर हुआ था. मान्यता ये भी है कि पितृपक्ष में अशोक का पेड़ लगाने से पितर प्रसन्न होते हैं और अपनी पीढ़ी पर पूरा आशीर्वाद बरसाते हैं. इस वृक्ष की पूजा से रोग और शोक दोनों ही दूर होने का आशीर्वाद मिलता है. आयुर्वेद में भी अशोक के पेड़ का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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