Pitru Paksha ke upay: पितरों की पूजा का 16 दिनी महापर्व अब पूरा होने का है. महालय का यह पावन पर्व पितरों को श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान आदि के जरिए संतुष्ट करने के लिए सबसे उत्तम माना गया है. पितृपक्ष में दिवंगत लोगों की तिथि पर विधि-विधान से श्राद्ध करने का विधान है. मान्यता है कि पितृ विशेष को उनकी तिथि पर श्राद्ध और तर्पण आदि करके संतुष्ट करने से पितृदोष दूर होता है और पितरों के आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है. यदि आपने अभी तक दिवंगत आत्माओं की तृप्ति के लिए श्राद्ध कर्म और इससे जुड़े उपाय नहीं किए तो आप बाकी दिनों में इसे करके उनका आशीर्वाद पा सकते हैं. आइए पितरों से जुड़े सरल सनातनी उपायों के बारे में विस्तार से जानते हैं.
- पितृपक्ष में पितरों को प्रसन्न करने के लिए व्यक्ति को उनकी तिथि पर जरूर श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करें. अगर तिथि याद न हो तो उनके लिए विशेष रूप से सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध करें.
- पितरों के लिए श्राद्ध कर्म किसी मजबूरी या गुस्से में नहीं बल्कि उनके प्रति अपनी आस्था रखते हुए श्रद्धा भाव के साथ करें.
- पितृपक्ष के दौरान घर की छत या बालकनी पर आने वाले पक्षियों और घर के बाहर आने वाले कुत्ता, गाय आदि जानवरों को खाने की वस्तुएं देकर संतुष्ट करने का प्रयास करें. पितृपक्ष में गाय को विशेष रूप से हरा चारा और चीटियों को आटा और चीनी और मछलियों को आटे की गोली खाने के लिए डालें.
- हिंदू मान्यता के अनुसार दक्षिण दिशा का संबंध पितरों से होता है. ऐसे में पितृपक्ष में प्रतिदिन दक्षिण दिशा में शाम के समय अपने पितरों के लिए दीया जरूर जलाएं.
- पितृपक्ष में पीपल के पेड़ की पूजा करने का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. हिंदू मान्यता के अनुसार इस पेड़ का संबंध पितरों से होता है. ऐसे में पितृपक्ष में पीपल के पेड़ की विधि-विधान से पूजा करें.
- पितृपक्ष में दिवंगत पितरों को संतुष्ट करने के लिए किसी वेदपाठी ब्राह्मण को बुलाकर अपने घर में सम्मान पूर्वक भोजन कराएं तथा उसे अपनी क्षमता के अनुसार अन्न, वस्त्र आदि के साथ दक्षिणा दान में दें.
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- पितृपक्ष में किया जाने वाला श्राद्ध पितृयज्ञ कहलाता है. ऐसे में इस पावन प्रक्रिया को पूरा करने वाले व्यक्ति को पूरे पितृपक्ष में सात्विक भोजन ग्रहण करते हुए नियम-संयम से रहकर अपने पितरों को संतुष्ट करने का प्रयास करना चाहिए.
- हिंदू मान्यता के अनुसार पितृपक्ष में दान का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. ऐसे में इस पावन पक्ष में अगर संभव हो तो व्यक्ति गाय, भूमि, स्वर्ण, चांदी, घी, अन्न, वस्त्र, नमक आदि के साथ विशेष रूप से पिंडदान करना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)