Pitru Paksha 2021: इन चीजों के बिना अधूरी रह जाएगी श्राद्ध कर्म की प्रक्रिया, न करें नजरअंदाज

Pitru Paksha: शुद्ध पितृ पक्ष 21 सितबंर मंगलवार से शुरू हो चुके हैं. हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है. इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया जाता है. आइये जानते हैं श्राद्ध कर्म के दौरान किन चीजों का करना चाहिये उपयोग.

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नई दिल्ली:

Shradha 2021: पितृ पक्ष का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पितृ पक्ष शुरू हो चुके हैं, जो सर्व पितृ अमावस्या के दिन यानी 6 अक्टूबर तक चलेंगे. इस दौरान श्राद्ध कर्म (Shraaddh Karm) करते समय पितरों को खुश करने के लिए तपर्ण किया जाता है. आइये जानते हैं श्राद्ध कर्म (Shraaddh Karm) के दौरान किन चीजों के बिना श्राद्ध प्रक्रिया अधूरी मानी जाती है. शास्त्रों के अनुसार किसी भी श्राद्ध कर्ता को तर्पण के दौरान कुश, तिल और तुलसी का प्रयोग जरूर करना चाहिए. ऐसा करने से पितृ तृप्त होकर आर्शीवाद देकर अपने लोक चले जाते हैं.

श्राद्ध क्रिया में इन तीनों चीजों का होना है जरूरी

शास्त्रों के अनुसार, भगवान श्री हरि विष्णु का अहम हिस्सा कुश को माना गया है. सनातन धर्म में भी इन्हें सबसे शुद्ध माना गया है, इसी कारण श्राद्ध कर्म (Shraaddh Karm) के समय कुश को शामिल जरूर करना चाहिये. मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्री हरि विष्णु के रोम से कुश की उत्पत्ति हुई है. माना जाता है कि कुश को धारण कर तर्पण करने से पितर की आत्मा को बैकुंठ की प्राप्ति होती है.

श्राद्ध के दौरान तिल का उपयोग बहुत महत्वपूर्ण है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भगवान विष्णु से तिल की उत्पत्ति हुई है. माना जाता है कि तिल की उत्पत्ति पसीने से हुई है. पिंड दान के दौरान तिल का उपयोग करने से पितर को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

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Pitru Paksha 2021:  श्राद्ध कर्म करते समय इन बातों का रखें ख्याल

पिंड दान व तर्पण के समय काले तिल का प्रयोग शुभ और फलदायी है. मान्यता है कि भगवान श्री हरि विष्णु को काला तिल बहुत प्रिय है, इसलिए भी तर्पण में इसका प्रयोग किया जाता है. बता दें कि काला तिल यम के देवता को समर्पित है, इसलिए भी श्राद्ध कर्म में इसका प्रयोग किया जाता है. देखा गया होगा कि काले तिल के साथ चावल का प्रयोग होता है, इसका यही कारण है.

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पितृ पक्ष क्रिया में तुलसी का प्रयोग होता है, ये क्रिया के लिए काफी महत्वपूर्ण है. मान्यताओं की मानें तो तुलसी कभी बासी या अपवित्र नहीं होती, इसलिए चढ़ाई गई तुलसी को आप दोबारा प्रयोग में ला सकते हो.

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पौराणिरक ग्रंथों के अनुसार, तुलसी, तिल, गौ, ब्राह्मण मोक्ष प्रदान कराते हैं, यही कारम है कि श्राद्ध के इसका प्रयोग होता है, जो पितरों की आत्मा को मुक्ति दिलाती हैं. माना जाता है कि तुलसी की गंध से पितर प्रसन्न होते हैं.

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पितृ पक्ष के समय ब्राह्मणों को भोजन कराना विशेष फलदायी है. पितृ पक्ष में ब्राह्मण भोज की परंपरा भी है. इस दौरान ब्राह्मणों के पैर धोना भी शुभ माना जाता है. एक बात का खास ख्याल रखें कि ब्राह्मणों के चरण धोते समय उन्हें बैठा ले. उनको खड़ा कर के चरण धोने से पितर नाराज हो जाते हैं.

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