Peepal Purnima आने वाली है, भक्त जानिए क्यों की जाती है इस दिन पीपल की पूजा और क्या मान्यता है इससे जुड़ी

Peepal Purnima 2022: हिंदू धर्म में पीपल से जुड़ी कई मान्यताएं हैं. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पीपल के पेड़ की विशेष पूजा की जाता है. 16 मई, सोमवार के पीपल पूर्णिमा पड़ रही है.

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Peepal Purnima 2022: वातावरण को स्वच्छ रखने के लिए प्रत्येक हरे पेड़-पौधे का योगदान होता है. पीपल (Peepal) के बार में मान्यता है कि इसमें भगवान का वास होता है. यही कारण है कि भक्त इसमें जल, फूल और धूप-दीप अर्पित करते हैं. कहा जाता है कि पीपल (Peepal) की जड़ में भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का वास होता है. साथ की इसके तने में भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) वास करते हैं, शाखाओं में नारायण (Nayayan) और पत्तों में भगवान हरि निवास करते हैं. आने वाले 16 मई,  सोमवार को पीपल पूर्णिमा (Peepal Purnima 2022) है. मान्यता है कि इस दिन पीपल (Peepal) में जल अर्पित करने से ग्रहों के दोष दूर होते हैं और पितृ देव (Pitra Dev) प्रसन्न होते हैं. आइए जानते हैं इस बारे में.


पीपल पूर्णिमा कब है, क्या है इसका महत्व (Peepal Purnima Date & Importance) 


पंचांग के मुताबिक 16 मई, सोमवार को वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है. मान्यतानुसार इस दिन पीपल पूर्णिमा मनाई जाएगी. साथ ही इस दिन व्रत भी रखा जाता है. माना जाता है कि इस दिन पीपल (Peepal) की पूजा करने से परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है. धार्मिक मान्यतानुसार, सूर्योदय के बाद पीपल के वृक्ष में मां लक्ष्मी का वास होता है.  यही कारण है सू्र्योदय के बाद पीपल की पूजा की जाती है. पीपल के वृक्ष को काटना या नष्ट करना ब्रह्म हत्या के समान माना गया है. वैज्ञानिक दृष्टि से पीपल सबसे अधिक ऑक्सीजन प्रदान करने वाला पेड़ है. पीपल के पेड़ में जल देने के बाद इसकी परिक्रमा की जाती है. क्योंकि पानी देने के तुरंत बाद पीपल अधिक ऑक्सीजन देता है.  


पीपल पूर्णिमा पर किए जाते हैं ये शुभ कार्य


धार्मिक मान्यतानुसार,  पीपल पूर्णिमा के दिन कुछ शुभ कार्य भी किए जाते हैं. अगर किसी कन्या की कुंडली में विधवा योग हो तो पहले पीपल वृक्ष या घड़े के साथ शुभ लग्न में उसकी शादी कराने के बाद उसका विवाह लंबी आयु वाले वर से कराने में लड़की का वैधव्य योग खत्म हो जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से ग्रहों के अशुभ प्रभाव भगवान विष्णु ग्रहण कर लेते हैं और कन्या को सौभाग्य प्राप्त होता है. 

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ग्रह दोष और पितृ दोष दूर करने के लिए किए जाते हैं ये काम 


पीपल पूर्णिमा के दिन सूर्योदय के बाद एक साफ लोटे में जल लेकर पीपल में अर्पित किया जाता है. उसके बाद पीपल की 3 बार परिक्रमा की जाती है. मान्यता है कि ऐसा करने से गुरू और शनि ग्रह शुभ फल देते हैं. इसके अलावा इससे दुख, दरिद्रता और दुर्भाग्य दूर होने की भी मान्यता है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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