Nirjala Ekadashi 2022 Vrat: निर्जला एकादशी साल को सभी व्रतों में पवित्र और खास मानी जाती है. यह ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी (Ekadashi) तिथि को पड़ती है. मान्यता है कि निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) के व्रत से बेहद पुण्य प्राप्त होता है. निर्जला एकादशी व्रत का नियम (Nirjala Ekadashi Vrat) आम व्रत से कठिन और खास होता है. व्रत के दौरान जल ग्रहण नहीं किया जाता है. इसलिए इस व्रत को रखने में खास सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है. आइए जानते हैं कि निर्जला एकादशी का व्रत किस प्रकार रखा जाता है.
इस तरह रखा जात है निर्जला एकादशी का व्रत | Nirjala Ekadashi Vrat Vidhi
निर्जला एकादशी का व्रत रखने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शौच-स्नान आदि से निवृत हो लिया जाता है. इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा पूरे भक्ति भाव से करनी चाहिए. इस व्रत में महिलाएं पूर्ण श्रृंगार और मेंहदी लगाती हैं. व्रत के दौरान पूरे दिन भगवान विष्णु का नाम लेना चाहिए. एकादशी के दिन सोना निषेध माना गया है. एकादशी व्रत की पूजा के बाद कलश के जल से पीपल को जल देना चाहिए. दूसके दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान के बाद भगवान विष्णु और पीपल के नीचे दीपक जलाना चाहिए. इसके बाद ब्रह्मणों को भोजन कराने के बाद दान-दक्षिणा देना चाहिए. इस दिन दान में जल से भरा घड़ा, अन्न, वस्त्र, छाता, पान, शैय्या, आसन, पंखा सोना और गोदान करना चाहिए. निर्जला एकादशी के दिन वैसे तो सभी को दान करना अच्छा माना गया है, लेकिन व्रती को इस दिन सामर्थ्य के अनुसार अन्न, वस्त्र, जल, जूता, आसन, पंखा, छतरी और फल इत्यादि का दान करना चाहिए. मान्यता है कि इस दिन जल से भरे कलश का दान करने से बहुत अधिक पुण्य प्राप्त होता है.
निर्जला एकादशी व्रत में क्या ना करें | What not to do during Nirjala Ekadashi fast
निर्जला एकादशी व्रत में पानी पीना निषेध माना गया है. ऐस में इस नियम का विशेष रूप से पालन किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत के दौरान पानी पीने से व्रत टूट जाता है. हालांकि इस दिन जल का दान किया जा सकता है.
एकादशी के दिन घर पर आए मेहमान को बिना जल पिलाए नहीं भेजना चाहिए. अगर संभव हो तो उन्हें भोजन भी करा सकते हैं.
एकादशी व्रत नियम के मुताबिक इस दिन किसी के प्रति मन में ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध, काम, लोभ, चालच और मोह इत्यादि बुरी आदतों से दूरी बनाकर रखना चाहिए.
निर्जला एकादशी व्रत के दौरान संयम आत्मसंयम और ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य माना गया है. ऐसे में व्रती को भूलकर भी ऐसी गलती नहीं करनी चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)