Navratri 2021: आज ऐसे करें मां कालरात्रि की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त
नई दिल्ली:
Navratri 2021 Date: ऐसे करें मां कालरात्रि की पूजा
Shardiya Navratri 2021: नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है. नवरात्रि के पर्व को हिंदू धर्म में विशेष माना गया है. पंचांग के अनुसार, 12 अक्टूबर 2021 को आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि है. इस दिन नवरात्रि का सातवां दिन है. नवरात्रि की सप्तमी तिथि में मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. मां कालरात्रि की पूजा करने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं. ऐसा माना जाता है कि मां कालरात्रि की पूजा से शनिदेव भी शांत रहते हैं. सप्तमी तिथि नवरात्रि में मां कालरात्रि को समर्पित है. माना जाता है कि इस दिन मां कालरात्रि की पूजा करने से जीवन में आने वाली परेशानियां भी दूर होती हैं. आइए जानते हैं पंचांग के अनुसार, इस दिन का पूजा का शुभ मुहूर्त व पूजन विधि.
मां कालरात्रि की पूजन विधि (Maa Kalratri Puja)
- आश्वनि मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी की सुबह स्नान करने के बाद पूजा आरंभ करनी चाहिए.
- मां कालरात्रि की पूजा में अनुशासन और स्वच्छता के नियमों का विशेष पालन करना चाहिए.
- मां कालरात्रि की पूजा भी उसी प्रकार से होती है जिस प्रकार से अन्य देवियों की पूजा की जाती है.
- मां को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें.
- मां को रोली कुमकुम लगाएं.
- मां कालरात्रि को शहद का भोग अवश्य लगाएं.
- मां कालरात्रि की पूजा में मिष्ठान, पंच मेवा, पांच प्रकार के फल,अक्षत, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ नैवेद्य आदि का अर्पण किया जाता है.
- इस दिन गुड़ का विशेष महत्व बताया गया है.
- मां कालरात्रि को लाल रंग प्रिय है.
- मां कालरात्रि का अधिक से अधिक ध्यान करें.
- मां की आरती भी करें.
पूजन का शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat Of Pujan)
इस दिन पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त प्रात: 11:44:20 से दोपहर 12:30:41 तक रहेगा.
मां कालरात्रि की पूजा का महत्व
- मां कालरात्रि की पूजा जीवन में आने वाले संकटों से रक्षा करती हैं.
- मां कालरात्रि की कृपा से बुरी शक्तियों का प्रभाव समाप्त हो जाता है.
- मां कालरात्रि शत्रु और दुष्टों का संहार करती हैं.
- मां कालरात्रि की पूजा करने से तनाव, अज्ञात भय और बुरी शक्तिओं दूर होता है.
- मां कालरात्रि का रंग कृष्ण वर्ण है. कृष्ण वर्ण के कारण ही इन्हें कालरात्रि कहा जाता है.
- मां कालरात्रि की 4 भुजाएं हैं. पौराणिक कथा के अनुसार, असुरों के राजा रक्तबीज का संहार करने के लिए दुर्गा मां ने मां कालरात्रि का रूप लिया था.
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