Shardiya Navratri 2021: नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ उपवास के साथ सोलह श्रृंगार का भी बहुत बड़ा महत्व बताया गया है. यही वजह है कि स्त्रियों को हर तीज-त्योहार पर श्रृंगार करने के लिए कहा जाता है. हिंदू धर्म (Hindu Dharam) में मां दुर्गा (Maa Durga) के शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) का विशेष महत्व है. नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूप की पूजा की जाती है. इस बार शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर 2021 से शुरू हो गयी हैं. नवरात्रि के हर दिन मां के नौ रूपों में से एक को समर्पित होता है. सोलह श्रृंगार का संबंध घर की सुख-समृद्धि से जुड़ा हुआ है. ऋग्वेद में भी कहा गया है कि सोलह श्रृंगार सिर्फ खूबसूरती ही नहीं भाग्य को भी चमकाता है. यही वजह है कि महिलाएं नवरात्रि में मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए इस पावन पर्व पर श्रृंगार करती हैं. नवरात्रि में मां दुर्गा की विशेष पूजा होती है और माता रानी को सोलह श्रृंगार किया जाता है. आइये जानते हैं 16 श्रृंगार में कौन-कौन से श्रृंगार आते हैं और इनका क्या महत्व है.
Navratri 2021: नवरात्रि में क्यों करते हैं माता रानी का 16 श्रृंगार, जानिये महत्व
मां दुर्गा का सोलह श्रृंगार
- लाल चुनरी.
- चूड़ी.
- बिछिया.
- इत्र.
- सिंदूर.
- महावर.
- बिंद्दी.
- मेहंदी.
- काजल.
- चोटी.
- गले के लिए माला या मंगल सूत्र.
- पायल.
- नेलपॉलिश.
- लिपस्टिक (लाली).
- चोटी में लगाने वाला रिबन.
- कान की बाली.
- नाक में नथ.
Navratri 2021: नवरात्रि में हर महिला को करने चाहिए 16 श्रृंगार
ऐसे करें मां का श्रृंगार
- सबसे पहले मां दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित करने के लिए एक चौकी लें.
- उस पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं.
- इसके बाद इस पर मां की मूर्ति या तस्वीर रखें.
- मां को कुमकुम का टीका लगाएं और श्रृंगार का सारा सामान चढ़ाएं.
सोलह श्रृंगार के पीछे की वजह
मान्यता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा के 16 ऋंगार किए जाते हैं. साथ ही, विवाहित महिलाएं भी इन दिनों में अच्छे से सज-धज कर मां की पूजा करती हैं. मां दुर्गा के सोलह श्रृंगार में फूलों का ऋंगार भी एक है. इसे काफी शुभ माना जाता है. कहते हैं फूलों की महक मन को ताजगी देती है. घर में सकारात्मकता का विकास होता है. ऐसी मान्यता है कि इससे घर में सुख और समृद्धि आती है और अखंड सौभाग्य का वरदान भी मिलता है. यही वजह है कि भारतीय संस्कृति में सोलह श्रृंगार को जीवन का अहम और अभिन्न अंग माना गया है. नवरात्रि में मां को सोलह श्रृंगार का चढ़ावा चढ़ाने के अलावा महिलाओं को भी इस दौरान सोलह श्रृंगार जरूर करना चाहिए. ऋग्वेद में भी सौभाग्य के लिए सोलह श्रृंगारों का महत्व बताया गया है. सोलह श्रृंगार में मौजूद हर एक श्रृंगार का अलग अर्थ है. बिन्दी को भगवान शंकर के तीसरे नेत्र से जोड़कर देखा जाता है. वहीं, सिंदूर सौभाग्य और सुहाग की निशानी होती है. महावर और मेहंदी को प्रेम से जोड़कर देखा जाता है. काजल बुरी नजर से बचाता है. मां का सोलह श्रृंगार करने से घर और जीवन में सौभाग्य आता है. जीवन में खुशियां ही खुशियां आती हैं और जीवनसाथी का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है.