Nagchandreshwar Temple: साल में एक दिन के लिए खुलता है यह नाग मंदिर, जानें क्यों उमड़ती है भक्तों की भीड़

Nagchandreshwar Temple: नागचंद्रेश्वर मंदिर दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जो साल में एक बार नाग पंचमी के दिन खुलता है. आइए जानते हैं इस नाग मंदिर के बारे में.

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Nagchandreshwar Temple: उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर बेहद खास माना जाता है.

Nagchandreshwar Temple: नाग पंचमी सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है. इस साल नाग पंचमी 2 अगस्त को यानी आज मनाई जा रही है. इस दिन नाग देवता की पूजा का विधान है. भक्त नाग पंचमी (Nag Panchami) के दिन मिट्टी या चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा बनाकर मंदिर में पूजा करते हैं. साथ ही नाग देवता को जल और दूध के अभिषेक करते हैं. मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन ऐसा करने से नाद देवता के साथ-साथ भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं. भारत में पौराणिक कल से ही नाग देवता की पूजा होती आ रही है. भारत में अनेक नाग मंदिर मौजूद हैं, लेकिन उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर (Nagchandreshwar Mandir) की बेहद खास माना जाता है. मान्यता है कि यह मंदिर भारत का एकमात्र नाग मंदिर है जो कि नाग पंचमी के दिन ही खुलता है. नाग पंचमी के दिन इस मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है. आइए जानते हैं साल में सिर्फ एक दिन खुलने वाले उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर (Nagchandreshwar Mandir Ujjain) के बारे में.

11 वीं सदी मूर्ति है स्थापित

धार्मिक मान्यता है कि उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर (Ujjain Nagchandreshwar Mandir) में 11वीं शताब्दी की प्रतिमा स्थापित है. कहा जाता है कि इस मंदिर में स्वयं नागराज तक्षक विराजमान हैं. जिसमें फन फैलाए नाग के आसन पर भगवान शिव और मां पर्वती विराजमान हैं. माना जाता है कि इस प्रतिमा को नेपाल से लाया गया था. उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है.

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अद्भुत है नागचंद्रेश्वर मंदिर

उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर (Ujjain Nagchandreshwar Mandir) के बारे में कहा जाता है कि यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसमें भगवान विष्णु की जगह भोलेनाथ सांप की शय्या पर विराजमान है. मंदिर में स्थापित मूर्तियों में भगवान शिव, मां पार्वती और भगवान गणेश दस मुख वाले सांप की शैय्या पर विराजमान हैं. नाग पंचमी के दिन हर साल नाग देवता की त्रिकाल पूजा-अर्चना की जाती है. 

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नागचंद्रेश्वर मंदिर की पौराणिक कथा | Mythology of Nagchandreshwar Temple

पौराणिक मान्यता है कि सर्पराज तक्षक ने भोलेनाथ के मनाने के लिए घोर तपस्या की थी. उनकी कठोर तपस्या के प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया. कहा जाता है तभी से नागराज तक्षक ने भोलेनाथ के सानिध्य में रहना शुरू कर दिया. लेकिन महाकाल-वन में वास करने से पहले उनकी यही मंशा थी कि उनके एकांत में विघ्न ना हो. इसलिए वर्षों से यही प्रथा है कि सिर्फ नाग पंचमी के दिन ही वे दर्शन देते हैं. बाकी समय उनके सम्मान में परंपरा के अनुसार मंदिर बंद रहता है.  

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कह खुलेंगे नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट

ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर के शीर्ष पर स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर मंदिर (Nagchandreshwar Temple) के पट एक साल बाद 02 अगस्त 2022, सोमवार रात 12 बजे खुलेंगे. पैराणिक परंपरा अनुसार महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरीजी महाराज के सानिध्य में कलेक्टर आशीषसिंह भगवान नागचंद्रेश्वर का पूजन करेंगे. इसके बाद आम लोगों के दर्शन का सिलसिला शुरू होगा, भक्तों को लगातार 24 घंटे भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन होंगे. मंगलवार रात 12 बजे पूजा अर्चना के बाद फिर से एक वर्ष के लिए मंदिर के पट बंद कर दिए जाएंगे.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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