नाग पंचमी पर किन मंदिरों में होती है नाग देवता की पूजा, जानें उनसे जुड़ी मान्यताएं और पौराणिक इतिहास

Famous snake temple in India: सनातन परंपरा में नाग देवता की पूजा सभी दोषों को दूर करके सुख, संपत्ति और सौभाग्य दिलाने वाली मानी गई है. नाग पंचमी के पावन पर्व पर आखिर किन मंदिरों पर दर्शन और पूजन से मिलता है नाग देवता का आशीर्वाद, जानने के लिए पढ़ें ये लेख.

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नागपंचमी के पावन पर्व पर इन मंदिरों में होती है कालसर्प दोष की पूजा

Nag Panchami 2025: हिंदू धर्म में नाग पंचमी का पर्व हर साल श्रावण मास के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. सावन के महीने में पड़ने वाले इस पावन पर्व पर लोग शिव के गले का हार माने जाने वाले नाग देवता की विधि-विधान से पूजा करते हैं. हिंदू मान्यता के अनुसार नागपंचमी पर नाग देवता की पूजा करने पर पूरे वर्ष भर सुख-सौभाग्य बना रहता है. यही कारण है कि इस दिन लोग नाग देवता के मंदिर में जाकर पूरे विधि-विधान से पूजा करके उनसे सुख-संपत्ति और आरोग्य का आशीर्वाद मांगते हैं.

कब है नाग पंचमी 

देश की राजधानी दिल्ली के समयानुसार इस साल श्रावण मास के शुक्लपक्ष की पंचमी 28 जुलाई 2025 को रात्रि में 11:24 बजे प्रारंभ होकर 30 जुलाई 2025 को पूर्वाह्न 12:46 बजे तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार इस साल नाग पंचमी का पावन पर्व 29 जुलाई 2025 को मनाया जाएगा. इस साल नाग पंचमी की पूजा का शुभ मुहूर्त (Nag Panchami 2025 Date And Shubh Muhurat) प्रात:काल 05:41 से लेकर 08:23 बजे तक रहेगा. आइए जानते हैं कि देश के किन प्रसिद्ध मंदिरों में नाग देवता का पूजन एवं दर्शन आदि करने पर विशेष फल और पुण्य की प्राप्ति होती है. 

नागवासुकी मंदिर 

नागवासुकी मंदिर में दर्शन के बगैर संगम नगरी प्रयागराज की यात्रा अधूरी मानी जाती है। पापनाशिनी गंगा के किनारे बना यह मंदिर पौराणिक काल का माना जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार जब दैत्यों और देवताओं ने समुद्र मंथन किया तो उसमें मंदराचल पर्वत से मंथन करने के लिए नागवासुकी को रस्सी के रूप में प्रयोग किया था। मान्यता है ​इस पूरी प्रक्रिया में जब घर्षण के कारण नागवासुकी चोटिल हो गये तो उन्हें आराम करने के लिए भगवान श्री विष्णु ने संगम के किनारे भेज दिया था। मान्यता है कि तब से आज तक वे इसी स्थान पर विराजमान है। मान्यता है​ नागवासुकी मंदिर (Nag Vasuki Mandir) में नागपंचमी के दिन पूजा करने पर व्यक्ति के जीवन एवं कुंडली के सारे दोष दूर हो जाते हैं। 

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नागचंद्रेश्वर मंदिर

महाकाल की नगरी उज्जैन में स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर (nagchandreshwar) साल में सिर्फ एक बार नाग देवता के भक्तों के दर्शन के लिए खुलता है. अत्यंत ही प्राचीन यह मंदिर महाकाल मंदिर के शिखर पर स्थित है. यही कारण है कि इस दिन यहां पर भक्तों की भारी भीड़ जुटती है. मान्यता है कि नागचंद्रेश्वर भगवान की जो कोई भी व्यक्ति पूजा करता है, उसे जीवन में कभी भी सर्पदंश या अन्य प्रकार का भय नहीं रहता है. महाकाल और नागदेवता की कृपा से उसके कुल की वृद्धि होती है और उसका घर धन-धान्य से भरा रहता है. 

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तक्षकेश्वर मंदिर

कुंभ नगरी प्रयाग राज में एक और भी नाग देवता (Nag Devta) से जुड़ा बड़ा तीर्थ है, जिसे तक्षकेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार पाताल लोक में रहने वाले आठ प्रमुख नागों का उन्हें स्वामी माना जाता है. तक्षकेश्वर मंदिर यमुना (Yamuna) किनारे दरियाबाद में स्थित है. इस पावन नाग मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां पर नागपंचमी पर्व पर पूजा करने पर कुंडली से जुड़े कालसर्प दोष से होने वाली समस्याएं दूर हो जाती हैं. हालांकि यहां पर हर मास के शुक्लपक्ष की पंचमी पर भी विशेष पूजा होती है. इस पावन स्थान पर पूरे श्रावण मास शिव और नाग देवता की पूजा चलती रहती है. 

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कर्कोटक नाग मंदिर

सनातन परंपरा में कर्कोटक को प्रमुख नाग देवता (Naag Devta) के रूप में माना गया है. इन्हें नागों का राजा भी माना जाता है. कर्कोटक नाग मंदिर उत्तराखंड के नैनीताल शहर के भीमताल स्थान पर है. मान्यता है कि नागपंचमी पर इस मंदिर में जाकर विधि-विधान से पूजा करने साधक को सुख, संपति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. कुंडली में कालसर्प दोष की शांति के लिए भी यहां पर विशेष पूजा की जाती है. 

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मन्नाारशाला सर्प मंदिर

नाग देवता से जुड़ा यह अद्भुत मंदिर दक्षिण भारत के केरल राज्य में स्थित है. मन्नाारशाला सर्प मंदिर (mannarasala snake temple) में नाग देवता की कई हजार प्रतिमाएं हैं. विशाल प्रांगण में फैले इस मंदिर में आपको चारों तरफ नाग देवता की प्रतिमाएं ही नजर आती हैं. यही कारण है कि लोग इसे स्नेक टेंपल (snake temple in india) के नाम से बुलाते हैं. नाग देवता पर आस्था रखने वाले श्रद्धालु इस मंदिर में विशेष पूजा करने के लिए पहुंचते हैं. हिंदू मान्यता के अनुसार नाग देवता के आशीर्वाद से कुल की वृद्धि होती है. यही कारण है कि नि:संतान दंपत्ति संतान सुख की प्राप्ति के लिए यहां पर विशेष पूजा करने के लिए जाते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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