Mokshada Ekadashi 2021: आज है मोक्षदा एकादशी, जानिए शुभ मुहूर्त व पूजा विधि

Mokshada Ekadashi: हिंदू धर्म में हर एकादशी का अलग ही महत्व है. प्रत्येक एकादशी तिथि में भगवान श्री हरि विष्णु पूजन करना श्रेष्ठ माना जाता है. इस बार मोक्षदा एकादशी 14 दिसंबर यानि आज के दिन पड़ रही है.

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Mokshada Ekadashi 2021: आज मोक्षदा एकादशी पर इस विधि से करें पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त
नई दिल्ली:

हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह की 11वीं तिथि को एकादशी कहते हैं. प्रत्येक एकादशी (Ekadashi) तिथि का अलग महत्व है और प्रत्येक एकादशी तिथि में विष्णु पूजन करना श्रेष्ठ माना जाता है. इन्ही एकादशी तिथियों में से एक है मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi). हर एक महीने में एकादशी तिथि दो बार होती है, एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में. इस प्रकार एक वर्ष में कम से कम 24 एकादशी हो सकती हैं, लेकिन अधिक मास (अतिरिक्त महीने) के मामले में यह संख्या 26 भी हो सकती है. मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi 2021) कहा जाता है. एकादशी को भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित एक दिन माना जाता है. माना जाता है कि इस एकादशी का उपवास करने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होता है. इस बार मोक्षदा एकादशी 14 दिसंबर यानि आज के दिन पड़ रही है.

मोक्षदा एकादशी का मुहूर्त | Shubh Muhurat Of Mokshada Ekadashi

  • एकदाशी तिथि प्रारंभ-  13 दिसंबर, रात्रि 9: 32 मिनट से,
  • एकदाशी तिथि समाप्त- 14 दिसंबर रात्रि 11:35 मिनट पर.
  • उदया तिथि में एकादशी 14 दिसंबर को है, इसलिए आज के दिन व्रत एवं पूजन लाभकारी होगा.

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मोक्षदा एकादशी व्रत पारण मुहूर्त | Mokshada Ekadashi Vrat Parana Muhurta

  • व्रत का पारण- 15 दिसंबर को सुबह 07 बजकर 5 मिनट से,
  • सुबह 09 बजकर 09 मिनट तक.

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मोक्षदा एकादशी पूजा विधि | Mokshada Ekadashi Puja Vidhi

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं.
  • घर के मंदिर की सफाई करें और घर के मंदिर और आस-पास की जगह को गंगाजल से पवित्र करें.
  • मंदिर में सभी भगवानों को स्नान कराएं और स्वच्छ वस्त्र पहनाएं.
  • भगवान के समक्ष दीप प्रज्वलित करें.
  • भगवान श्री हरि विष्णु को पुष्प व तुलसी दल अर्पित करें.
  • अगर संभव हो तो इस दिन व्रत अवश्य रखें.
  • श्री हरि की भोग लगाएं, ख्याल रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का ही भोग लगाएं.
  •  ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं.
  • अब भगवान को धूप-बत्ती दिखाएं.
  • भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा अवश्य करें.
  • पूजा के बाद आरती जरूर करें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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