Masik Karthigai: जानिए मासिक कार्तिगाई पर कैसे शुरू हुई महादीप प्रज्जवलित करने की पंरपरा

कार्तिगाई दीपम (Masik Karthigai) पर भगवान शिव (Lord Shiva) के इसी ज्योति स्वरूप का पूजन किया जाता है. मान्यता है कि मासिक कार्तिगाई दक्षिण भारत में मनाए जाने वाला सबसे पुराना पर्व है. इस उत्सव को कार्तिकाई बह्मोत्सव के नाम से भी जाना जाता है. चलिए जानते हैं कि कार्तिगाई दीपम पर क्यों कि जाती है शिव के ज्योति स्वरूप की पूजा और क्या है इसका महत्व.

विज्ञापन
Read Time: 26 mins
Masik Karthigai: जानिए कैसे शुरू हुई महादीप प्रज्जवलित करने की पंरपरा, ये है मासिक कार्तिगाई का महत्व
नई दिल्ली:

मासिक कार्तिगाई दीपम दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है. ये त्योहार महीने में एक बार मनाया जाता है. इस दिन भगवान शिव शंकर और भगवान मुरुगन की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. इस माह 9 फरवरी को मासिक कार्तिगाई दीपम है. धार्मिक मान्यता है कि कार्तिगाई दीपम को भगवान शिव ने स्वंय को ज्योत रूप में परिवर्तित कर लिया था. कार्तिगाई दीपम पर भगवान शिव के इसी ज्योति स्वरूप का पूजन किया जाता है.

Masik Karthigai 2022: कब है मासिक कार्तिगाई दीपम, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि

मान्यता है कि मासिक कार्तिगाई दक्षिण भारत में मनाए जाने वाला सबसे पुराना पर्व है. इस उत्सव को कार्तिकाई बह्मोत्सव के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव जी की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से सभी कष्टों का अंत हो जाता है. चलिए जानते हैं कि कार्तिगाई दीपम पर क्यों कि जाती है शिव के ज्योति स्वरूप की पूजा और क्या है इसका महत्व.

Pradosh Vrat 2022: कब है माघ माह का अंतिम प्रदोष व्रत, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

कार्तिगाई दीपम महत्व | Masik Karthigai Significance

तमिल धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, एक समय की बात है जब चिरकाल में भगवान ब्रह्मा और भगवान श्री हरि विष्णु के बीच श्रेष्ठता को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया. ऐसे समय इस विवाद को खत्म करने के लिए भगवान शिव शंकर ने स्वयं को दिव्य ज्योत में परिवर्तित कर लिया, जिसके बाद उन्होंने दोनों देवों से उस दिव्यज्योति का सिरा और अंत ढूंढने को कहा. कार्तिगाई दीपम पर भगवान शिव के इसी ज्योति स्वरूप का पूजन किया जाता है. कालांतर से इस पर्व को मनाने का विधान है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, कार्तिगाई के दिन भगवान भोलेनाथ की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने और दीप जलाकर उनका आवाह्न करने से जीवन से नकारात्मकता दूर होती है. कहते हैं कि इस व्रत को करने से जीवन में एक नई ऊर्जा और प्रकाश का संचार होता है और भगवान शिव की कृपा से परिवार में सब कुशल मंगल रहता है.

Advertisement

महादीप प्रज्जवलित करने की पंरपरा

कार्तिगाई दीपम साल भर हर एक महीने में पड़ता है, यही वजह है कि इसे मासिक कार्तिगाई (Masik Karthigai) के नाम से जाना जाता है. कहते हैं कि कार्तिगाई दीपम का नाम कृतिका नक्षत्र के नाम पर रखा गया है. इसके पीछे भी एक रोचक वजह बताई जाती है. मान्यता है कि जिस दिन कृतिका नक्षत्र अति प्रबल होती है उसी दिन कार्तिगाई दीपम का त्योहार मनाया जाता है.

Advertisement

इस दिन, तमिल हिंदू सूर्यास्त के बाद अपने घरों को कोलम और दीपक के तेल से सजाते हैं. इस दिन भगवान शिव शंकर और भगवान मुरुगन की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. एक विशेष दिन पर, अडाई, वडाई, अप्पम, नेल्लू पोरी और मुत्तई पोरी आदि जैसे भोजन भगवान को अर्पित करने के लिए तैयार किए जाते हैं.

Advertisement

विशेष रूप से मासिक कार्तिगाई दक्षिण भारत में मनाए जाने वाला एक मुख्य त्योहार है. इस पर्व को खासतौर पर तमिलानाडु में मनाया जाता है. तमिलनाडु और केरल में इस पर्व को दीपावली की तरह मनाया जाता है. मासिक कार्तिगाई पर दीपक जलाने का विशेष महत्व है. इस दिन तिल के तेल या घी का दीपक जलाने की परंपरा है. इस दिन घर-घर में दीये से भरे तेल प्रज्जवलित किए जाते हैं.

Advertisement

इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा-पाठ कर भगवान को प्रसन्न किया जाता है. मान्यता है कि मासिक कार्तिगाई दक्षिण भारत में मनाए जाने वाला सबसे पुराना पर्व है. इस उत्सव को कार्तिकाई बह्मोत्सव के नाम से भी जाना जाता है. कार्तिगई दीपम पर्व भगवान शिव को समर्पित है.

यहीं नहीं इस दिन तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई अरुणाचलेश्वर स्वामी मंदिर में कार्तिगई दीपम उत्सव का भव्य आयोजन होता है, जिसमें सम्मलित होने दूर-दूर से भक्त यहां आते हैं और अपनी हाजिरी दर्ज कराते हैं. इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु अरुणाचलेश्वर मंदिर (जो पहाड़ी के ऊपर बसा है) में एकत्रित होते हैं और विशाल दीपक जलाते हैं, जिन्हें महादीपम कहा जाता है. माना जाता है कि यह भगवान शिव के ज्योति रूप का प्रतीक होता है. बता दें कि भगवान शिव शंकर के ज्योतिर्लिंग से इसे जोड़ कर देखा जाता है. इसका जिक्र शिव पुराण में किया गया है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Featured Video Of The Day
Justice BV Nagarathna ने सुनाई 2 वकीलों की रोचक कहानी, एक बने राष्ट्रपति तो दूसरे CJI | EXCLUSIVE