Masik Kalashtami 2024: मासिक कालाष्टमी (Masik Kalashtami) व्रत भगवान शिव (Lord Shiva ) के काल भैरव (Kal bhairav) रूप को समर्पित है. भगवान शिव के काल भैरव रूप को तंत्र मंत्र का देवता माना जाता है. हर माह की के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का व्रत रखा जाता है और भगवान शिव के उग्र स्वरूप की काल भैरव की पूजा अर्चना की जाती है. मान्यता है कि मासिक कालाष्टमी को भगवान शिव के काल भैरव स्वरूप की पूजा से सांसारिक कष्टों से मुक्ति प्राप्त होती है. ज्येष्ठ माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 30 मई को होगी और इसी दिन कालाष्टमी का व्रत रखा जाएगा. आइए जानते हैं ज्येष्ठ माह में कालाष्टमी व्रत की तिथि, पूजा विधि और महत्व.
कब मनाई जाएगी एकदंत संकष्टी चतुर्थी, जानें व्रत रखने का समय और पूजा का शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ माह में कालाष्टमी व्रत की तिथि (Date of Masik Kalashtami)
ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 30 मई को सुबह 11 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर 31 मई को सुबह 9 बजकर 38 मिनट तक रहेगी. मासिक कालाष्टमी का व्रत 30 मई गुरुवार को रखा जाएगा.
कालाष्टमी व्रत की पूजा विधि (Puja Vidhi of Masik Kalashtami)
मासिक कालाष्टमी का व्रत रखने के लिए प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र वस्त्र धारण कर भगवान सूर्य को तांबे के लोटे से अर्घ्य दें. इसके बाद भगवान शिव के काल भैरव रूप की विधि विधान से पूजा करें. उनका अभिषेक करे और दिया जलाएं. पूजा के दौरान शिव चालीसा, शिव स्त्रोत का पाठ और शिव मंत्रों का जाप करते रहे. भगवान शिव की आरती करें. काले भैरव की पूजा के लिए रात का समय यानी निशा काल उपयुक्त माना जाता है इसलिए निशा काल दोबारा विधि-विधान के साथ भगवान भैरव की पूजा करें.
इन मंत्रों का जाप करें
ॐ कालभैरवाय नम:।।
ॐ भयहरणं च भैरव:।।
ॐ भ्रं कालभैरवाय फट्।।
कालाष्टमी व्रत का महत्व
तंत्र विद्या सीखने वाले भक्तों के लिए कालाष्टमी के व्रत और पूजा का बहुत अधिक महत्व होता है. मान्यता है कि कालाष्टमी का व्रत रखने और काल भैरव की उपासना करने से जीवन से कष्टों का निवारण हो जाता है और सुख समृद्धि बढ़ती है. कालाष्टमी के अवसर पर उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर समेत कई मंदिरों में भगवान काल भैरव विशेष पूजा की जाती है.