Valmiki Jayanti 2025: महर्षि वाल्मीकि और उनकी लिखी रामायण से जुड़ी 7 बड़ी बातें जो आपको जरूर जाननी चाहिए

Valmiki Jayanti 2025:​​​​​​​ हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार हर साल आश्विन मास की पूर्णिमा को महर्षि वाल्मीकि की जयंती मनाई जाती है. आदि कवि महर्षि वाल्मीकि के प्राकट्य दिवस पर उनके द्वारा रचित रामायण और उनके जीवन से जुड़ी 7 बड़ी बातों को जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

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Valmiki Jayanti 2025: आज आश्विन मास की पूर्णिमा पर आदि कवि महर्षि वाल्मीकि की जयंती मनाई जा रही है. महर्षि वाल्मीकि का नाम सुनते ही सबसे पहले उनकी अनुपम रचना रामायण का जेहन में ख्याल आता है. हिंदू मान्यता के अनुसार यह भगवान राम के जीवन की सबसे प्रमाणिक गाथा है. महर्षि वाल्मीकि के बचपन का नाम रत्नाकर था और लूटपाट करके अपने परिवार का भरण पोषण किया करते थे लेकिन देवर्षि नारद से मिले ज्ञान के बाद उनका जीवन बदल गया और उन्होंने अपने तपबल से महर्षि का पद प्राप्त किया. महर्षि वाल्मीकि की रामायण और उनके जीवन से जुड़ी कई खास बातें हैं, जिन्हें आइए विस्तार से जानते हैं.

1. महर्षि वाल्मीकि ने आज से कई युग पहले मर्यादा पुरुषोत्तम राम की जीवनगाथा को रामायण लिख कर प्रस्तुत किया था. इसमें उन्होंने भगवान राम के मानवीय गुणों को बताते हुए उनके जीवन प्रसंग का अद्भुत वर्णन किया है.

2. महर्षि वाल्मीकि द्वारा संस्कृत भाषा में लिखी गई रामायण को भगवान विष्णु के सातवें अवतार श्री राम के जीवन पर आधारित कथा को सबसे शुद्ध और प्रमाणिक माना जाता है.

3. मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के जीवन पर लिखे इस पावन ग्रंथ में 24 हजार श्लोक तथा सात कांड है. हिंदू मान्यता के अनुसार वाल्मीकि रामायण की रचना 24 अक्षरों वाले गायत्री मंत्र के ‘ओम भूर् भुवः स्वः' से हुई है.

4. हिंदू मान्यता के अनुसार महर्षि वाल्मीकि भगवान श्रीराम के समय के ऋषि हैं, जिन्होंने ने उनकी पत्नी सीता को अपने आश्रम में आश्रय दिया था और वहीं पर उनके दो पुत्र लव और कुश पैदा हुए थे.

5. भगवान राम के जन्मस्थान यानि अयोध्या में महर्षि वाल्मीकि से जुड़ा एक ऐसा मंदिर है, जिसकी दीवारों पर रामायण के 24 हजार श्लोक अंकित हैं. मणिरामदास छावनी में स्थित श्रीमद् वाल्मीकीय रामायण भवन के भीतर दीवारों पर आपको पूरी रामायण पढ़ने को मिल जाएगी. यहां पर लव कुश के साथ भगवान वाल्मीकि की प्रतिमा है. इसी प्रकार अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के सप्त मंडपम में महर्षि वाल्मीकि की प्रतिमा भी स्थापित है.

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6. वाल्मीकि जयंती का पावन पर्व हमें यह सीख देता है कि सच्ची आस्था और तपबल से कोई भी व्यक्ति बड़े से बड़ा पद प्राप्त करता हुआ महान बन सकता है.

7. महर्षि वाल्मीकि की अनुपम रचना रामायण पाठ का न सिर्फ धार्मिक बल्कि आध्यात्मिक महत्व भी है. हिंदू मान्यता के अनुसार जहां रामायण को एकाग्र मन से पढ़ने या फिर सुनने वाला सभी पाप और दोषों से मुक्त होकर श्री हरि के वैकुंठ लोक को प्राप्त करता है तो वहीं इसका आध्यात्मिक संदेश हमें सामाजिक सद्भाव, पर्यावरण संरक्षण और नैतिक कर्तव्यों का बोध कराता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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