Mahalaxmi Vrat 2025: आज है महालक्ष्मी का आखिरी व्रत, जानें कैसे करें धन की देवी की पूजा और पारण

Mahalaxmi Vrat 2025: धन की देवी की कृपा पाने के लिए हर साल भादौं महीने के शुक्लपक्ष की अष्टमी से लेकर आश्विन मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तक पूरे 16 दिनों तक महालक्ष्मी व्रत रखा जाता है. आज उसका समापन कब और कैसे करें, जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

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Mahalaxmi Vrat 2025: कब और कैसे करें महालक्ष्मी व्रत की पूजा एवं पारण?

Mahalaxmi Vrat 2025 Puja Vidhi: हिंदू धर्म में धन की देवी महालक्ष्मी की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है क्योंकि इन्हीं के आशीर्वाद से जीवन की तमाम जरूरतें पूरी होती हैं. महालक्ष्मी की कृपा पाने के लिए हर साल भादौं महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि उनके लिए 16 दिनी व्रत रखने का विधान है. इसे गजलक्ष्मी व्रत के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसमें हाथी पर सवार माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है. 

हिंदू मान्यता के अनुसार माता महालक्ष्मी के इस व्रत को करने से व्यक्ति की सभी आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं और उसके घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है. आज आश्विन मास की अष्टमी तिथि पर महालक्ष्मी व्रत का समापन होने जा रहा है. आइए जानते हैं कि मां लक्ष्मी के इस व्रत की पूजा और पारण किस विधि से करना चाहिए. 

मां महालक्ष्मी की पूजा और पारण

सुख-संपत्ति और समृद्धि की देवी मां महालक्ष्मी की पूजा और पारण आप अपनी आस्था और विश्वास के अनुसार किसी भी समय कर सकते हैं लेकिन प्रदोष काल की पूजा का विशेष महत्व माना गया है. इसी प्रकार कुछ लोग पारण आज अष्टमी तिथि पर करते हैं तो कुछ अगले दिन करते हैं. आज माता महालक्ष्मी की पूजा के लिए ईशान कोण में चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर गजलक्ष्मी माता का चित्र या मूर्ति रखें. इसके बाद माता की रोली-चंदन, अक्षत, फल-फूल, पान-सुपाड़ी, नारियल और सफेद रंग की मिठाई आदि से पूजा करें.

 माता को आज 16 की संख्या में कौड़ी, खड़ी हल्दी की गांठ अर्पित करें. इसके बाद 16 शुद्ध देशी घी का दीया जलाएं. आज माता की मूर्ति के साथ श्रीयंत्र की भी पूजा करें. इसके बाद 16 गांठ वाले तागे की पूजा करें तथा पूजा के पश्चात उसे अपने दाहिने हाथ में बांध लें. मां महालक्ष्मी की पूजा में उनके व्रत की कथा और आरती अवश्य करें. आज के दिन यदि संभव हो तो 16 कन्याओं को भोजन कराकर दक्षिणा देना चाहिए. 

कब और कैसे दें चंद्रमा को अर्घ्य 

महालक्ष्मी व्रत में शाम के समय चंद्र देवता की भी पूजा करके उन्हें अर्घ्य देने का विधान है. हिंदू मान्यता के अनुसार आज शाम को जब माता लक्ष्मी की पूजा में 16 दीपक जलाएं तो उसमें से एक चंद्रोदय के समय चंद्र देवता को अर्पित करें. इसके बाद उन्हें दूध में अक्षत डालकर चंद्र देवता को अर्घ्य दें. मां लक्ष्मी के व्रत का पारण लोग अपनी आस्था के अनुसार करते हैं. कुछ लोग अष्टमी के दिन ही पारण करते हैं तो कुछ लोग व्रत के अगले दिन नवमी को पारण करते हैं.  

चंद्रमा कब उदय होगा: रात्रि 11:18 बजे
चंद्रमा कब अस्त होगा: 01:11 बजे

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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