सनातन धर्म (Sanatan Dharma) में माघ पूर्णिमा (Magh Purnima) का विशेष महत्व है. माघ माह (Magh month) की पूर्णिमा तिथि (Purnima Tithi) को प्रत्येक वर्ष ललिता जयंती (Lalita Jayanti) मनाई जाती है. आज के दिन मां ललिता (Maa Lalita) की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जा रही है. मान्यता है कि इस दिन मां ललिता की पूजा-उपासना करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ती होती है और माता की कृपा से व्रती को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
साल 2022 में ललिता जयंती आज 16 फरवरी (16 February 2022) को मनाई जा रही है. बता दें कि इस तिथि को माघ पूर्णिमा भी है. माता ललिता को दस महाविद्याओं (Mahavidyas) की तीसरी महाविद्या (Mahavidya) माना जाता है. आइए जानते हैं ललिता जयंती व्रत की पूजा की तिथि, महत्व और विधि.
ललिता जयंती का महत्व | Lalita Jayanti Vrat Significance
हर साल माघ मास की पूर्णिमा तिथि को ललिता जयंती (Lalita Jayanti) मनाई जाती है. इस दिन माता का पूजन और व्रत किया जाता है. कहते हैं कि इस दिन मां ललिता की आराधना करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति भी मिल जाती है. कहते हैं कि ललिता जयंती के दिन मां ललिता के साथ स्कंदमाता और भगवान शिव शंकर की पूजा-अर्चना भी की जाती है. बता दें कि मां ललिता को राजेश्वरी, षोडशी, त्रिपुरा सुंदरी आदि के नामों से भी जाना जाता है. ललिता जयंती के दिन कई जगहों पर मेले का आयोजन भी होता है. इस दिन मां ललिता के मंदिर में माता के दर्शनों के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है.
इस विधि से करें देवी मां की पूजा | Lalita Jayanti Vrat Puja Vidhi
इस दिन सुबह जल्दी उठकर, स्नानादि करके साफ वस्त्र धारण कर लें.
ललिता जयंती के दिन पूजा के समय सफेद वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है.
पूजा घर की अच्छे से सफाई कर दीया जलाएं.
भगवान शिव और मां पार्वती के समक्ष प्रणाम कर व्रत का संकल्प लें.
व्रत के प्रसाद के रूप में खीर-पूरी और गुड़ के सात पुए या फिर सात मीठी पूरी बनालें.
इसके बाद एक चौकी लें और उस पर गंगाजल छिड़कें और स्वंय उतर दिशा की ओर बैठ जाएं.
अब चौकी पर सफेद रंग का कपड़ा बिछाएं और उस पर शिव-पार्वती की मूर्ति स्थापित करें.
चौकी के बगल ही कलश स्थापित करें और उसमें आम के पत्तों को डाल कर नारियल रखें.
उसके बाद दीप जलाएं और आरती की थाली सजा लें.
अब सात पूड़ी और पुए को केले के पत्ते में बांधकर पूजा में रखें.
पूजा के समय संतान की रक्षा सुरक्षा और उन्नति के लिए भगवान शिव से प्रार्थना करें.
पूजा के दौरान उन्हें कलावा अर्पित करें.
महिलाओं को पूजा करते समय सूती डोरा या चांदी की संतान सप्तमी की चूड़ी हाथ में पहननी चाहिए.
पूजन के बाद धूप, दीप नेवैद्य अर्पित कर संतान सप्तमी की कथा पढ़ें या सुनें.
पूजा के आखिर में भगवान की आरती करें.
व्रत खोलने के लिए पूड़ी या पुए के प्रसाद को खाएं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)