कोकिला व्रत आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. यह व्रत दक्षिण भारत में अधिक प्रचलित है. जो महिलाएं इस व्रत को करती हैं वे सूर्योदय से पहले उठती हैं और स्नान के बाद सुगंधित इत्र का प्रयोग करती हैं. यह नियम से आठ दिनों तक रहता है. सुबह के समय भगवान सूर्य देव की पूजा करने का विधान है. इस साल ये व्रत 23 जुलाई को है.
कोकिला व्रत देवी सती और भगवान शिव को समर्पित है. कोकिल नाम को भारतीय पक्षी कोयल के रूप में जाना जाता है और यह देवी सती के साथ जुड़ा हुआ है. इसे एक कहानी के माध्यम से समझा जा सकता है.
ये है कोकिला व्रत की कहानी
एक बार प्रजापति दक्ष ने एक विशाल यज्ञ किया. इस यज्ञ में सभी देवताओं को आमंत्रित किया गया था, लेकिन उन्होंने अपने दामाद भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया
जब सती को इस बात का पता चला तो उन्होंने अपने पति भगवान शंकर के दर्शन करने की इच्छा प्रकट की. शंकर जी ने बिना निमंत्रण के वहां जाने से मना कर दिया लेकिन हठपूर्वक सती अपने मायके चली गई. मायके पहुंचने पर सती का घोर अपमान और अपमान किया गया.
इस वजह से सती प्रजापति के यज्ञ कुंड में कूद गईं और भस्म हो गईं. जब भगवान शंकर को सती के भस्म होने की खबर मिली, तो वे क्रोध से भर गए. भगवान शिव ने वीरभद्र को प्रजापति दक्ष को मारने का आदेश दिया.भगवान विष्णु ने इस विप्लव को शांत करने का प्रयास किया.
भगवान आशुतोष का कोप शांत हो गया लेकिन आदेश की अवहेलना करने वाली अपनी पत्नी सती को कोकिला के रूप में दस हजार साल तक घूमने का शाप दे दिया. सती दस हजार वर्षों तक कोकिला के रूप में नंदन वन में रहीं.
कोकिला शुभ मुहूर्त
कोकिला व्रत- 23 जुलाई 2021, शुक्रवार को शुरू हो जाएगी.
कोकिला व्रत पूजा मुहूर्त- प्रात: 07 बजकर 17 मिनट से रात्रि 09 बजकर 22 मिनट तक है