अक्षत के बिना क्यों अधूरी मानी जाती है पूजा, जानिए इसके पीछे की मान्यता

देवी-देवताओं को पूजा में अक्षत चढ़ाने की परंपरा सदियों पुरानी है. पुराणों में पूजा के समय अक्षत चढ़ाने का उल्लेख मिलता है, जिसे शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है. मान्यता है कि अन्न से हुए हवन से भगवान संतुष्ट होते हैं. वहीं ये भी माना जाता है कि भगवान को अन्न अर्पित करने से पितृ भी तृप्त हो जाते हैं.

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जानिए पूजा में अक्षत चढ़ाना क्यों माना जाता है शुभ, क्या है इसका महत्व
नई दिल्ली:

हिन्दू धर्म में चावल यानि का अक्षत का विशेष महत्व है. देवी-देवताओं को पूजा में अक्षत चढ़ाने की परंपरा सदियों पुरानी है, जो आज तक निरंतर चली आ रही है. माना जाता है कि अक्षत के बिना की गई पूजा अधूरी होती है. अक्षत का अर्थ होता है जो टूटा न हो. शास्त्रों में अन्न और हवन का विशेष महत्व माना जाता है. हिन्दू पुराणों में पूजा के समय चावल या अक्षत चढ़ाने का उल्लेख मिलता है, जिसे शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है. अलग-अलग धर्मों के लोग अपने भगवान या इष्ट देव की पूजा भी अलग-अलग विधान से करते है. मान्यता है कि अन्न से हुए हवन से भगवान संतुष्ट होते हैं. वहीं ये भी माना जाता है कि भगवान को अन्न अर्पित करने से पितृ भी तृप्त हो जाते हैं. वहीं भगवान को हमेशा ऐसे अक्षत समर्पित किए जाते हैं, जो खंडित न हो. आइए आज आपको बताते हैं पूजा में अक्षत का महत्व.

शुद्ध अन्न है अक्षत

हिन्दू धर्म में पूजा के दौरान चावल चढ़ाने का विशेष महत्व होता है. गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि मुझे अर्पित किए बिना, जो कोई अन्न और धन का प्रयोग करता है, वो अन्न और धन चोरी का माना जाता है. चावल यानि अक्षत को शुद्ध अनाज माना जाता है. इसके पीछे का कारण यह है कि चावल धान के अंदर बंद होता है, जिसे पशु-पक्षी झूठा नहीं कर पाते. एक और मान्यता यह भी है कि प्रकृति में सबसे पहले चावल की ही खेती की गई थी, उस समय लोग भगवान को अक्षत अर्पित करते थे, ये परंपरा आज भी चली आ रही है. मान्यता है कि यदि पूजा में कोई सामग्री न हो तो चावल उसकी कमी पूरी कर देता है.

ईश्वर को संतुष्ट करने का साधन

शास्त्रों में अन्न को ईश्वर को संतुष्ट करने का मुख्य साधन बताया गया है. सबसे ज्यादा शद्ध और पवित्र होने की वजह से अक्षत भगवान को अर्पित किया जाता है. कहते हैं अक्षत ईश्वर को संतुष्ट करता है. वहीं ये भी माना जाता है कि भगवान को अन्न अर्पित करने से पितृ भी तृप्त हो जाते हैं. 

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इस बात का रखें खास ख्याल

भगवान की पूजा के समय हमेशा साबूत चावल ही प्रयोग में लेना चाहिए. कहते हैं कि टूटे चावल भगवान को अर्पित नहीं करना चाहिए. अक्षत को सभी अन्न में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है.

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देवताओं को प्रिय है अक्षत

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, अक्षत सबसे पवित्र और श्रेष्ठ अनाज माना गया है. कहा जाता है कि यह देवताओं का सर्व प्रिय अन्न है. मान्यता है कि भगवान को अनाज अर्पित करने से जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं, जिससे घर में सुख-समृद्धि का वास रहता है. अक्षत को देवान्न भी कहा जाता है और अगर पूजा पाठ में किसी अन्य सामग्री की कमी रह भी जाए तो उस सामग्री का स्मरण करते हुए देवताओं को अक्षत चढ़ाएं जाते हैं, जिससे पूजा पूरी मानी जाती है. 

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पौराणिक मान्यता

मान्यता है कि अन्न से हुए हवन से भगवान संतुष्ट होते हैं. वहीं ऐसा भी माना जाता है कि भगवान को अन्न अर्पित करने से पितृ भी तृप्त हो जाते हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती है. कहा जाता है कि जो व्यक्ति अक्षत को कुमकुम में मिलाकर भगवान को अर्पित करता है, उसकी पूजा और संकल्प जल्द ही पूर्ण होता है. एक अन्य मान्यता के अनुसार, घर में अक्षत में माता अन्नपूर्णा को स्थापित करने से कभी-भी धन और वैभव की कमी नहीं होती. माना जाता है कि शिवलिंग पर चावल अर्पित करने से भगवान शिव अति शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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