जानिए किस देवी-देवता को कौन सा पुष्प है पसंद, क्या हैं इनसे जुड़ी मान्यताएं

हिंदू धर्म में अलग-अलग देवी-देवताओं को अलग-अलग पुष्प अर्पित किया जाता है. कहते हैं चाहें कोई पूजा हो या फिर धार्मिक अनुष्ठान, भगवान को बिना फूल अर्पित किए कोई भी अनुष्ठान पूरा नहीं होता. शास्त्रों में बताया गया है कि कौन से फूल किस देवी-देवता को विशेष रूप से प्रिय होते हैं और कौन से फूल अर्पित करना वर्जित होता है.

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जानिए किस भगवान को चढ़ता है कौन सा फूल
नई दिल्ली:

हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना और उपासना करने का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि भगवान की विधि-विधान से पूजा करने के अलावा, जाप और पूजा सामग्री अर्पित (Dedicated) करने से वे जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं. हिंदू धर्म में कोई भी पूजा (Worship) या धार्मिक अनुष्ठान बिना फूलों को अर्पित किए अधूरा माना जाता है. मान्यता के अनुसार कुछ फूल (Flower) ऐसे हैं, जो देवी-देवताओं को काफी प्रिय हैं. भगवान की पूजा शामिल सभी सामग्रियों में सबसे पहले और खास पुष्प माने जाते हैं.

हिंदू धर्म में अलग-अलग देवी-देवताओं को अलग-अलग पुष्प अर्पित किया जाता है. कुछ फूल  ऐसे हैं, जो देवी-देवताओं को काफी प्रिय हैं. कहा जाता है कि इन फूलों को उनके चरणों में अर्पित  करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. शास्त्रों में बताया है कि कौन से फूल किस देवी-देवता को विशेष रूप से प्रिय होते हैं और कौन से फूल अर्पित करना वर्जित होता है. आइये जानते हैं कि किस देवी-देवता को कौन सा फूल चढ़ाने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है.

जानें किस भगवान को प्रिय हैं कौन से फूल

भगवान गौरी गणेश

सभी देवी-देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय भगवान श्री गणेश को तुलसीदल को छोड़कर सभी प्रकार के फूल चढ़ाएं जा सकते हैं. कहते हैं किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले गणपति महाराज की आराधना करनी चाहिए. वैसे तो गणेश जी को दूर्वा (दूर्वा घास के ऊपर तीन या पांच पत्तियां हों तो ये बेहद ही उत्तम होती है) अत्यंत प्रिय है, लेकिन इसके अलावा श्री गणेश जी को गेंदे के फूल भी पसंद हैं. माना जाता है कि पूजा करते समय अगर आप उनके चरणों में गेंदे के फूल अर्पित करते हैं, तो इससे गणपति महाराज की आप पर विशेष कृपा बनी रहती है. पद्मपुराण आचाररत्न में वर्णित है कि 'न तुलस्या गणाधिपम'... इसका अर्थ है कि गणेश जी को कभी भी तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए.

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भगवान शिव शंकर

भगवान शिव ऐसे देवता हैं जो सिर्फ एक लोटे जल से प्रसन्न हो जाते हैं. भोलेनाथ को धतूरे के फूल, हरसिंगार, नागकेसर के सफेद पुष्प, सूखे कमल गट्टे, कनेर, कुसुम, आक, कुश आदि बेहद प्रिय हैं. मान्यता है कि देवों के देव महादेव की पूजा करते समय मदार के फूल उनके चरणों में जरूर अर्पित करने चाहिए, इससे वे जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. इसके अलावा धतूरे के फूल भी शिव जी को बेहद प्रिय हैं. कहा जाता है कि इन फूलों को चढ़ाने से शिव जी प्रसन्न होते हैं और मनचाहा वरदान देते हैं. बता दें कि भगवान शिव को केवड़े का फूल चढ़ाना वर्जित माना गया है.

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भगवान श्री हरि विष्णु

मान्यता है कि भगवान विष्णु तुलसी दल चढ़ाने से अति शीघ्र प्रसन्न होते हैं. विष्णु जी को कमल, मौलसिरी, जूही, कदम्ब, केवड़ा, चमेली, अशोक, मालती, वासंती, चंपा, वैजयंती के फूल बेहद प्रिय हैं. हरसिंगार (परिजात पुष्प के नाम से भी जाना जाता है) के फूल भी भगवान विष्णु को अति प्रिय हैं. इसके अलावा उन्हें तुलसी दल चढ़ाना भी बेहद शुभ माना जाता है. कहते हैं कि कार्तिक मास में श्री हरि पर केतकी के फूल चढ़ाए जाए, तो वे बेहद प्रसन्न हो जाते हैं. ध्यान रखें कि विष्णु जी को कभी भी आक और धतूरा नहीं चढ़ाना चाहिए.

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भगवान श्रीकृष्ण

कान्हा जी को तुलसी का भोग बेहद प्रिय है. भगवान श्रीकृष्ण को कुमुद, करवरी, चणक, मालती, पलाश व वनमाला के पुष्प भी अति प्रिय हैं, कहते हैं इनसे श्रीकृष्ण जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. भगवान श्रीकृष्ण को उनके बाल रूप में पूजा जाता है, जिसे लड्डू गोपाल कहते हैं

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मां दुर्गा

मां दुर्गा को लाल रंग के पुष्य विशेष प्रिय होते हैं. गुड़हल के लाल फूल मां काली और मां दुर्गा को काफी भाते हैं. कहते हैं मां दुर्गा को लाल गुलाब या लाल अड़हुल के पुष्प अर्पित करना शुभ माना जाता है. मां दुर्गा की पूजा करते समय गुड़हल के फूल उनके चरणों में ज़रूर चढ़ाएं. अगर संभव हो तो आप गुड़हल के 108 फूलों की माला बनाकर भी चढ़ा सकते हैं. इससे मां खुश होकर मनोकामनाओं को पूरा करती हैं. इसके अलावा बेला, सफेद कमल, पलाश, गुलाब, चंपा के फूल चढ़ाने से भी देवी प्रसन्न होती हैं.

माता लक्ष्मी

मां लक्ष्मी का सबसे अधिक प्रिय पुष्प लाल और श्वेत कमल है. कहते हैं कि माता लक्ष्मी को पीला फूल या लाल गुलाब चढ़ाकर भी खुश किया जा सकता है. मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए उनकी पूजा करते समय कमल का फूल चढ़ाना चाहिए. कमल का फूल उनको बेहद प्रिय है. मां वैभव लक्ष्मी की पूजा और दीवाली की पूजा में इसको शामिल करने से भी मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है.

पवनपुत्र हनुमान

हनुमान जी को जैस्मीन का फूल बहुत प्रिय है. इसी वजह से हनुमान जी को चोला चढ़ाते समय लाल सिन्दूर को चमेली के तेल में ही मिलाया जाता है, इसलिए उनकी आराधना करते समय जैस्मीन के फूल ज़रूर अर्पित करने चाहिए. कहते हैं ऐसा करने से हनुमान जी जल्दी खुश हो जाते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं. राम भक्त हनुमान को लाल रंग बहुत ही प्रिय होता है. हनुमानजी की पूजा में लाल पुष्प अर्पित करना विशेष फलदाई माना जाता है, इसलिए इन पर लाल गुलाब, लाल गेंदा, गुड़हल व अनार आदि पुष्प चढ़ाए जाते हैं.

मां कालीका

माता काली की पूजा में लाल रंग के पुष्प चढ़ाए जा सकते हैं. गुड़हल का पुष्प इनको बहुत प्रिय हैं और मान्यता है कि इनको 108 लाल गुड़हल के फूल या माला अर्पित करने से मनोकामना शीघ्र पूर्ण होती है.

मां सरस्वती

विद्या और ज्ञान व कला की देवी मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए सफेद या पीले रंग का फूल चढ़ाए जाते हैं. सफेद गुलाब, सफेद कनेर या फिर पीले गेंदे के फूल से भी मां सरस्वती वहुत प्रसन्न होती हैं.

शनि देव

शनिदेव का प्रिय रंग नीला माना जात है, ऐसे में शनि देव को प्रसन्न करने के लिए नीले लाजवन्ती के फूल चढ़ाने चाहिए. इसके अतिरिक्त कोई भी नीले या गहरे रंग के फूल चढ़ाने से शनि देव शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं

सूर्यदेव

भगवान सूर्य प्रत्यक्ष देवता माने जाते हैं, इन्हें प्रसन्न करने के लिए नियमित रूप से जल और लाल रंग के फूल चढ़ाने की परंपरा होती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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