आज से शुरू हो रही है साल की पहली गुप्त नवरात्र‍ि, देवी के इन रूपों की जाती है पूजा

गुप्त नवरात्रि में दसमहाविद्याओं मां काली मां तारा देवी मां त्रिपुर सुंदरी मां भुवनेश्वरी मां छिन्नमस्ता मां त्रिपुर भैरवी मां ध्रूमावती मां बगलामुखी मां मातंगी और मां कमला देवी की साधना-आराधना की जाती है. कहते है गुप्त नवरात्रि में मां की पूजा करने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं.

विज्ञापन
Read Time: 25 mins
गुप्त नवरात्र‍ि में की जाती है देवी के इन रूपों की पूजा
नई दिल्ली:

सनातन परंपरा में शक्ति की साधना का महापर्व नवरात्रि दो नहीं, बल्कि चार बार आता है. नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा की पूजा (Maa Durga Puja) और आराधना के दिन होते हैं. इस बार गुप्त नवरात्रि की शुरुआत आज 2 फरवरी, बुधवार के दिन से हो रही है. मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) में विशेष तरह की इच्छापूर्ति और सिद्धि प्राप्त करने के लिए पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं. गुप्त नवरात्रि में दसमहाविद्याओं मां काली मां तारा देवी मां त्रिपुर सुंदरी मां भुवनेश्वरी मां छिन्नमस्ता मां त्रिपुर भैरवी मां ध्रूमावती मां बगलामुखी मां मातंगी और मां कमला देवी की साधना-आराधना की जाती है. कहते है गुप्त नवरात्रि में मां की पूजा करने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं.

गुप्त नवरात्र में देवी के स्वरूपों की पूजा

महाविद्या देवी दुर्गा के दस रूप कहे जाते हैं, जिनको अलग-अलग तरीके से पूजा जाता है. भागवत के मुताबिक, महाकाली के उग्र और सौम्य दो रुपों में अनेक रुप धारण करने वाली दस महा-विद्याएं हैं. कहते हैं देवों के देव महादेव की यह महाविद्याएं सिद्धियां प्रदान करने वाली मानी जाती हैं. माना जाता है कि यह महाविघा अद्वितीय रुप लिए भक्तों के सभी कष्टों को दूर कर देती हैं. गुप्त नवरात्रि में मां की पूजा गुप्त तरीके से करने का विधान है. गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है. इसमें मां कालिके, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता चित्रमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूम्रवती, माता बगलामुखी, मातंगी, कमला देवी की पूजा का विधान है.

देवी कालीका

देवी कालीका दस महाविद्याओं मे से एक मानी जाती हैं. गुप्त नवरात्र में देवी काली कि उपासना की जाती है.

देवी तारा

मां तारा दस महाविद्याओं में से एक हैं. कहते हैं देवी के इस रूप को सर्व सिद्धिकारक माना जाता है. मां तारा को परारूपा और महासुन्दरी कला-स्वरूपा माना जाता हैं. कहते हैं देवी तारा ही हैं, जो सबकी मुक्ति का विधान रचती हैं.

Advertisement

मां ललिता

माना जाता है कि मां ललिता की विधि-विधान से पूजा और व्रत करने से समृद्धि की प्राप्त होती है. दक्षिणमार्गी शाक्तों के मतानुसार, देवी ललिता को चण्डी का स्थान प्राप्त है.

Advertisement

मां भुवनेश्वरी

सृष्टि के ऐश्वर्य की स्वामिनी माता भुवनेश्वरी कहलाती हैं. सर्वोच्च सत्ता की प्रतीक माता भुवनेश्वरी मानी जाती हैं. माता भुवनेश्वरी के मंत्रों को समस्त देवी देवताओं की आराधना में विशेष शक्ति दायक माना जाता है.

Advertisement

त्रिपुर भैरवी

मां त्रिपुर भैरवी तमोगुण और रजोगुण से परिपूर्ण हैं. देवी के इस रूप की पूजा-अर्चना करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.

Advertisement

माता छिन्नमस्तिका

बता दें कि मां छिन्नमस्तिका को मां चिंतपूर्णी के नाम से भी जाना जाता है. कहते हैं कि देवी की विधि-विधान से पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं.

मां धूमावती

मान्यता है कि मां धूमावती के दर्शन पूजन से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है. कहते हैं देवी ने मां धूमावती का यह रूप शत्रुओं के संहार के लिए ही धारण किया है.

मां बगलामुखी

मां बगलामुखी स्तंभन की अधिष्ठात्री हैं. मान्यता है कि देवी के इस रूप की पूजा-आराधना करने से शत्रुओं का नाश होता है और जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है.

देवी मातंगी

देवी मातंगी वाणी और संगीत की अधिष्ठात्री देवी कही जाती हैं. माना जाता है कि देवी मातंगी संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं. देवी अपने भक्तों को अभय का फल प्रदान करती हैं.

माता कमला

माता कमला सुख संपदा की प्रतीक मानी जाती हैं. धन संपदा की आधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं माता कमला. कहते हैं कि भौतिक सुख की इच्छा रखने वालों के लिए माता कमला की अराधना सर्वश्रेष्ठ मानी जाती हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Featured Video Of The Day
Bengaluru Stampede: आखिर किसको बचाने की कोशिश हो रही? | Khabron Ki Khabar | RCB Victory Parade