हिंदू धर्म में फाल्गुन माह (Falgun Month) का विशेष महत्व है. इस बार फाल्गुन माह 17 फरवरी से शुरू हो रहा है, जो कि 18 मार्च तक रहेगा. कहा जाता है कि फाल्गुन माह की पूर्णिमा को चंद्रमा फाल्गुनी नक्षत्र में रहता है, यही वजह है कि इस महीने को फाल्गुन माह कहा जाता है. इस माह में विशेष तौर पर श्री कृष्ण के बाल कृष्ण, युवा कृष्ण और गुरु कृष्ण स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. बता दें कि इस माह होली, विजय एकादशी, फुलेरा दूज, महा शिवरात्रि और अन्य त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाए जाते हैं, जिनकी रौनक देखते ही बनती है.
माना जाता है कि हिंदू धर्म में माह के नाम नक्षत्रों पर आधारित होते हैं. कहते हैं कि इस दौरान चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है, उस माह का नाम उसी नक्षत्र के आधार पर रखा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, फाल्गुन माह में ही चंद्रदेव का जन्म हुआ था, यही वजह है कि इस महीने चंद्र देव की भी पूजा-आराधना की जाती है. कहते ही कि इस महीने में दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है, जिसे काफी शुभ माना जाता है.
फाल्गुन माह (Falgun Month) में भगवान श्री कृष्ण की विधि-विधान से पूजा-आराधना की जाती है. मान्यता है कि फाल्गुन मास में संतान के लिए बाल कृष्ण की पूजा की जाती. इसी तरह प्रेम के लिए युवा कृष्ण की आराधना की जाती है. इसके अलावा ज्ञान और वैराग्य के लिए गुरु कृष्ण की पूजा करना फलदायी माना जाता है.
भगवान श्री कृष्ण के इन रूपों की होती है पूजा
फाल्गुन मास में भगवान कृष्ण के तीन रूपों की पूजा करना चाहिए.
ये तीन रूप हैं बालकृष्ण, राधा-कृष्ण और गुरु कृष्ण.
पुराणों में उल्लेख है कि संतान की इच्छा रखने वालों को बाल कृष्ण की आराधना करनी चाहिए.
वहीं सुख-समृद्धि चाहने वालों को राधा-कृष्ण और ज्ञान की इच्छा रखने वालों को योगोश्वर जगदगुरु कृष्ण की उपासना करनी चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)