Kalashtami: 23 फरवरी के दिन कालाष्टमी मनाई जाने वाली है. काल भैरव के उपासक हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी (Ashtami) के दिन कालाष्टमी का व्रत (Kalashtami Vrat) करते हैं. मान्यताओं के अनुसार इस दिन जो कोई व्रत रखता है उसकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है. काल भैरव भगवान शिव (Lord Shiva) के अवतार माने जाते हैं इसलिए कहा जाता है कि जो भी इस दिन पूजा–अर्चना करता है उसे अमोघ फल की प्राप्ति होती है. कालाष्टमी के दिन काल भैरव (Kaal Bhairav) की सवारी यानि श्वान अर्थात कुत्ते को दूध भी पिलाया जाता है ताकि काल भैरव और अधिक प्रसन्न हों.
कलाष्टमी पूजन विधि में ध्यान रखें ये 7 बातें | 7 Things To Know About Kalashtami Poojan
काल भैरव की पूजा-अर्चना पूरे मन से की जानी चाहिए. आप भी यदि कालाष्टमी के दिन काल भैरव भगवान का व्रत कर रहे हैं तो पूजन विधि जान लीजिए. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और काल भैरव या भगवान शिव के मंदिर जाएं. शाम के समय शिव-पार्वती की पूजा की जाती है. काल भैरव की असल पूजा रात के समय होती है क्योंकि उन्हें तांत्रिकों के भगवान की ख्याति प्राप्त है. काल भैरव की पूजा में धूप, दीपक, उड़द, सरसों का तेल, काले तिल आदि से आरती की जाती है. काल भैरव का जाप होता और और फिर अंत में काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाई जाती है. इसके अतिरिक्त माना जाता है कि निम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक है.
- काल भैरव (Kaal Bhairav) की पूजा आप घर पर करने जा रहे हैं तो आपका घर पूरी तरह साफ होना चाहिए.
- सुबह जल्दी उठना और स्नान करना अनिवार्य शर्त है.
- कुत्ते को रोटी देना ना भूलें.
- किसी कुत्ते का अनादर न करें या उसे भगाए नहीं.
- हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार काल भैरव का पूजन मां पार्वती के साथ होना चाहिए.
- यह भी माना जाता है कि इस दिन भक्तों को दिन के समय नहीं सोना चाहिए.
- इस दिन नमक के सेवन को बुरा माना गया है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)