ईश्वर की पूजा में कब और कैसे करनी चाहिए आरती, जानें सभी जरूरी नियम

Aarti rules and rituals:सनातन परंपरा में किसी भी देवी-देवता की पूजा में आरती का क्या महत्व होता है? देवी-देवताओं की आरती कैसे करना चाहिए? पूजा के अंत मे की जाने वाली आरती का महत्व, विधि और इससे जुड़े उपाय जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

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पूजा के अंत में कैसे करना चाहिए आरती?

Aarti rules and rituals: सुख-समृद्धि की कामना लिए प्रत्येक व्यक्ति हर दिन ईश्वर की तमाम तरह से पूजा-पाठ करता है. कोई कोई मंत्र जप करके तो कोई उनका गुणगान करके अपनी श्रद्धा और विश्वास को उनके सामने प्रकट करता है. हिंदू धर्म में किसी भी देवी या देवता की पूजा के अंत में की जाने वाली आरती का महत्व बहुत ज्यादा माना गया है. हिंदू मान्यता है कि यह आरती पूजा-पाठ में रह गई किसी भी कमी अथवा गलती को दूर करके उसे पूर्ण बनाती है, लेकिन क्या आपको पता है कि इस आरती के भी कुछ नियम होते हैं. आइए पूजा की आरती के बारे में विस्तार से जानते हैं. 

कब करनी चाहिए आरती 

हिंदू मान्यता के अनुसार जिस आरती को करने पर पूजा से जुड़े सारी कमियां और जीवन से जुड़े सारे दोष दूर हो जाते हैं, उसे पूजा के सबसे अंत में करना चाहिए. आमतौर पर घर के देव स्थान पर एक दिन में दो बार आरती करने का विधान है. पहली आरती सूर्योदय के बाद की जाने वाली पूजा के पश्चात तो वहीं दूसरी सूर्यास्त के बाद शाम की पूजा करने के बाद अंत में किया जाता है. इसके अलावा जब कभी भी आप किसी देवी-देवता की विशेष पूजा या अनुष्ठान करते हैं तो उस दौरान भी आप अंत में आरती अवश्य करें. 

आरती करने की विधि 

हिंदू मान्यता के अनुसार किसी भी पूजा के बाद की जाने वाली आरती हमेशा एकाग्र मन और आस्था के साथ करनी चाहिए. आरती को हमेशा खड़े होकर करना चाहिए. विशेष अवस्था में आप ईश्वर से क्षमा मांगते हुए बैठकर भी अपने आराध्य की आरती कर सकते हैं. देवपूजा के दौरान की जाने वाले एक या फिर पांच बाती वाले दीये से आरती करें. हिंदू मान्यता के अनुसार पूजा के दौरान ​अपने आराध्य के पैरों में चार बार, नाभि में दो बार और मुख के सामने एक बार घुमाकर आरती पूरी करनी चाहिए. 

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आरती की शुरुआत हमेशा शंख बजाकर करनी चाहिए और इसके पूर्ण होने पर पवित्र जल के छींटे स्वयं पर और बाकी लोगों पर लगाने चाहिए. आरती करने के बाद जल से उतारा करें फिर उसके बाद स्वयं आरती लें और बाद में दूसरों को आरती लेने के लिए आगे बढ़ाएं. आरती का दीया बुझ जाए तो उसे दोबारा जलाकर आरती नहीं करना चाहिए बल्कि दूसरे दीये को जलाकर आरती पूर्ण करनी चाहिए. 

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आरती करने के लाभ

हिंदू मान्यता के अनुसार के अनुसार सारे दु:खों को तारती है. आरती करने से की गई पूजा या अनुष्ठान की सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. आरती करने से पूजा में हुई कमी दूर हो जाती है और उसका पूरा पुण्यफल प्राप्त होता है. पूजा की आरती से वातावरण में उपस्थित नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है. आरती ईश्वर का आशीर्वाद प्रदान करती है. जिन लोगों को मंत्र नहीं आता है या फिर उसका उच्चारण करने में मुश्किल आती है, उनकी पूजा को मंत्र का पुण्यफल भी आरती दिलाती है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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