Kheer Bhawani Temple: खीर भवानी मंदिर की कहानी है बेहद खास, मान्यता है सीता हरण से दुखी होकर माता आ गईं कश्मीर

Kheer Bhawani Temple: खीर भवानी मंदिर कश्मीर के श्रनगर से से तकरीबन 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस मंदिर में स्थित झरना को बेहद खास माना जाता है. यहां माता को खीर का भोग लगाया जाता है.

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Kheer Bhawani Temple: खीर भवानी मंदिर में माता को खीर का भोग लगाया जाता है.

Kheer Bhawani Temple: देश में जितने भी मंदिर हैं, उन सभी के पीछे कोई ना कोई मान्यता है. आमतौर पर हर मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक कथा है. ऐसा की एक मंदिर कश्मीर (Kashmir) में स्थित है. इसे खीर भवानी मंदिर (Kheer Bhawani Temple) के नाम से जाना जाता है. यह मंदिर श्रीनगर से तकरीबन 27 किलोमीटर की दूरी पर तुलमुल गांव में अवस्थित है. इस मंदिर में माता को प्रसाद के रूप में खीर चढ़ाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस सीता हरण से दुखी होकर यह देवी लंका से कश्मीर आ गई थीं. आइए जानते हैं खीर भवानी मंदिर से जुड़ी मान्यताओं के बारे में. 

खीर भवानी मंदिर की कहानी | Stoty Of Kheer Bhawani Temple


खीर भवानी मंदिर को लेकर एक रोचक कहानी प्रचलित है. कहा जाता है कि रावण खीर भवानी देवी का बहुत बड़ा भक्त था. मान्यता है कि रावण की भक्ति से मां भवानी प्रसन्न रहती थीं, लेकिन रावण की कुछ बुरी आदतों से माता नाराज हो गईं. कहा जाता है कि रावण ने जब माता सीता का अपहरण किया तो मां खीर भवानी इतना अधिक नाराज हुईं कि उन्होनें वह स्थान ही छोड़ दिया. मान्यता यह भी है कि माता ने राम भक्त हनुमान से उनकी मूर्ति लंका की बजाए किसी और स्थान पर स्थापित करने के लिए रहा. जिसके बाद हनुमान जी ने माता की मूर्ति लंका से उठाकर कश्मीर के तुलमुल में स्थापित कर दिया. 

मंदिर का झरना है खास | Kheer Bhawani Temple Waterfall 

वर्तमान में जहां माता खीर भवानी का मंदिर स्थित है, वहां का झरना विख्यात है. लोग इस झरने को चमत्कारी झरना कहते हैं. मान्यता है कि जब कोई विपत्ति आने वाली होती है तो इस झरने के पानी का रंग बदल जाता है. कहा जाता है कि जब 2014 में कश्मीर में बाढ़ आई थी तो झरने के पानी का रंग काला हो गया था. 

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माता को लगाया जाता है खीर का भोग | Kheer is offered to Kheer Bhawani

धार्मिक मान्यता है कि यहां माता को खीर का भोग लगाने से वे प्रसन्न होती है. इसलिए माता को खीर का भोग लगाया जाता है. साथ भक्तों को भी प्रसाद के रूप में खीर ही दिया जाता है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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