Karwa Chauth Vrat Katha: करवा चौथ पर आज जरूर पढ़ें यह कथा, करवा माता होंगी प्रसन्न

Karwa Chauth Vrat Katha: करवा चौथ का व्रत आज रखा जा रहा है. मान्यतानुसार करवा चौथ के व्रत में इस कथा का पाठ करना जरूरी होता है.

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Karwa Chauth Vrat Katha: करवा चौथ की व्रत कथा और शुभ मुहूर्त जानिए.

Karwa Chauth Vrat Katha: आज कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है. ऐसे में आज करवा चौथ का व्रत रखा जा रहा है. इस व्रत को महिलांए पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती हैं. पंचांग के अनुसार, आज चतुर्थी तिथि पूरे दिन है और इसकी समाप्ति 14 अक्टूबर को सुबह 3 बजकर 08 मिनट होगी. करवा चौथ का चंद्रोदय आज रात 8 बजकर 09 मिनट पर है. वहीं पूजा का समय शाम 6 बजकर 01 मिनट से 07 बजकर 15 मिनट तक है. इसके साथ ही करवा चौथ व्रती के लिए इस व्रत कथा का पाठ करना जरूरी होता है. आइए जानते हैं कि करवा चौथ व्रत की कथा के बारे में. 

करवा चौथ व्रत कथा | Karva Chauth Vrat Katha

करवा चौथ की पौराणिक कथा के अनुसार, किसी स्थान पर एक साहूकार रहता था. उसके 7 लड़के और एक लड़की थी. कहते हैं कि सेठानी सहित उसकी सभी बहुओं ने करवा चौथ का व्रत रखा. रात में जब साहूकार के बेटे भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी छोटी बहन से भोजन के लिए कहा. इस पर उसकी बहन ने बताया कि उसने भी करवा चौथ का व्रत रखा है और व्रत चंद्र दर्शन के बाद ही भोजन ग्रहण कर सकती है. उस कन्या की छोटे भाई को बहन की हालत देखी ना गई. जिसके बाद उसने एक पेड़ पर दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है. उस दीपक को देखकर ऐसा मालूम होता है कि करवा चौथ का चांद निकल गया है. जिसे देखकर बहन ने अपनी भाभी से कहा कि करवा चौथ का चांद निकल आया है और वे चांद को देखकर व्रत का पारण कर लें. लेकिन उसकी भाभियों ने व्रत नहीं खोला. बहन को अपने भाई की चालाकी समझ में ना आई और वह उस दीपक को चांद समझकर व्रत खोल लेती है. व्रत खोलते समय जैसी ही व्रत भोजन का पहला टुकड़ा ग्रहण करती है उसे छींक आ जाती है. इस क्रम में जब भोजन का दूसरा टुकड़ा उठाती है तो उसमें बाल निकल आता है. वहीं जब वह तीसरा टुकड़ा मुंह में डालती है तो उससे पति के मृत्यु की खबर उसे प्राप्त होती है. जिसके बाद वह बहुत दुखी होती है. जिसके बाद उसकी भाभी सच्चाई बताती है कि उसका भाई दीपक को चांद बनाकर चांद निकलने से पहले की व्रत का पारण करवा दिया. लड़की को गहरा शोक होता है और वह अपने पति के शव को लेकर एक साल तक बैठी रही. पूरे साल चतुर्थी का व्रत किया और कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर विधि-विधान से करवा चौथ का व्रत रखकर व्रत का विधिवत पारण किया. कहते हैं कि इस व्रत के परिणामस्वरूप मां करवा और गणपति की कृपा से उसका पति जीवित हो गया. इसके बाद से वह खुशी-खशी हर साल विधिवत करवा चौथ का व्रत रखने लगी. 

करवा चौथ व्रत शुभ मुहूर्त | Karwa Chauth Vrat Shubh Muhurat

  • चतुर्थी तिथि आरंभ- 13 अक्टूबर की रात 1 बजकर 59 मिनट से 
  • चतुर्थी तिथि का समापन - 14 अक्टूबर को रात 3 बजकर 08 मिनट तक पर 
  • पूजा का मुहूर्त- शाम 6 बजकर 17 मिनट से 7 बजकर 31 मिनट तक
  • अवधि 1 घंटा 13 मिनट
  • करवा चौथ का व्रत सुबह 6 बजकर 32 मिनट से रात 8 बजकर 48 मिनट तक
  • करवा चौथ को चंद्रोदय - रात 8 बजकर 48 मिनट पर
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