Karwa Chauth 2025 Vrat Udyapan: करवा चौथ व्रत का उद्यापन कैसे करते हैं, जाने पूरी विधि और महत्व

Karwa Chauth Vrat Udyapan Vidhi: कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी पर न सिर्फ अखंड सुहाग की कामना लिए हुए करवा चौथ व्रत रखा जाता है, बल्कि यह दिन इस व्रत के उद्यापन के लिए भी शुभ माना गया है. यदि आप आज करवा चौथ व्रत का उद्यापन करना चाहती हैं तो सामग्री से लेकर संपूर्ण पूजा विधि तक जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

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Karwa Chauth 2025 Vrat Udyapan: करवा चौथ व्रत के उद्यापन की विधि
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Karwa Chauth Vrat Ka Udyapan Kaise Karen: आज कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि पर सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना लिए हुए करवा चौथ का व्रत रख रही हैं. अखंड सौभाग्य की कामना से जुड़ा यह व्रत अत्यंत ही कठिन माना जाता है क्यों​कि इसमें सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक सुहागिन महिलाओं को निर्जल रहना पड़ता है. कई बार सेहत और अन्य कारणों के चलते सुहागिन महिलाएं करवा चौथ व्रत का उद्यापन कर देती हैं.

यदि आपका भी आज आखिरी करवा चौथ व्रत है और आप इसका उद्यापन करने जा रही है तो ऐसा करने से पहले इसकी संपूर्ण विधि और नियम के बारे में जरूर जान लें. आइए जानते हैं कि करवा चौथ व्रत के उद्यापन में क्या-क्या सामग्री लगती है और इसे कैसे किया जाता है. 

कब और क्यों करते हैं करवा चौथ व्रत का उद्यापन 

हिंदू मान्यता के अनुसार करवा चौथ का व्रत 16 साल तक रखा जाता है, इसके बाद अमूमन महिलाएं इस व्रत का विधि-विधान से पूजन करके उद्यापन कर देती है. कई बार कुछ महिलाएं सेहत आदि के चलते भी इस व्रत का उद्यापन करती हैं. करवा चौथ व्रत का संकल्प पूरा हो जाने पर करवा चौथ व्रत वाले दिन ही उद्यापन करने का विधान है. मान्यता है कि बगैर उद्यापन किए इस व्रत को नहीं छोड़ना चाहिए. 

करवा चौथ व्रत के उद्यापन की सामग्री

करवा चौथ व्रत का उद्यापन की पूजा करने से पहले एक थाली में रोली, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, सुपाड़ी, श्रृंगार की सामग्री जैसे पायल, बिछिया, काजल, मेंहदी, चूड़ी, बिंदी और करवा आदि रख लें. 

करवा चौथ व्रत की उद्यापन विधि 

हिंदू मान्यता के अनुसार करवा चौथ व्रत का उद्यापन करने के लिए एक दिन पहले ही 13 या फिर 15 सुहागिन महिलाओं को आदर के साथ आमंत्रण दे देना चाहिए, जिन्होंने इस व्रत को नहीं रखा हो. इसके बाद एक थाली में 13 जगह 5-5 पूड़ी और हलवा रखकर उस पर अक्षत और चंदन छिड़कर कर भगवान श्री गणेश जी का ध्यान करें. गणपति को अर्पित इस भोग को सुहागिन महिलाओं को परोसने से पहले उन्हें सुपारी भेंट करें.

इसके बाद उन्हें हलवा और पूरी खिलाएं और अंत में उन्हें अपने सामर्थ्य के अनुसार सुहाग की सामग्री, वस्त्र और कुछ धन देकर आदर के साथ विदा करें. अगर 13 या फिर 15 महिलाएं एक साथ न आ सकें तो बाकी के लिए भोग और श्रृंगार की सामग्री आदि को एक थाली में निकाल कर रख लें और बाद में उन्हें आदर के साथ जाकर दे दें. व्रत का उद्यापन करने के बाद अपने घर की बड़ी बुजुर्ग महिला का आशीर्वाद लेना न भूले. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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