Kanya Sankranti 2022: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर महीने संक्राति पड़ती है. इस तरह साल में कुल 12 संक्राति पड़ती है. आश्विन मास की संक्रांति को कन्या संक्रांति (Kanya Sankranti ) कहते हैं. जब सूर्य राशि परिवर्तन (Surya Rashi Parivartan) करते हैं तो उसे संकांति के नाम से जाना जाता है. ऐसे में सूर्य जिस राशि में प्रवेश होता है उसे उसी संकांति के नाम से पुकारा जाता है. सूर्य देव 17 सितंबर को कन्या राशि (Kanya Rashi) में प्रवेश करेंगे. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन सूर्य देव की पूजा (Surya Dev Puja) विशेष फलदायी होती है. आइए जानते हैं कन्या संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा का महत्व.
कन्या संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा का महत्व | Kanya Sankranti Significance
कन्या संक्रांति के दिन सूर्यदेव की पूजा का खास महत्व है. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, इस दिन सूर्यदेव की विधिवत उपासना से जीवन में स्थिरता, तेज और यश की प्राप्ति होती है. साथ ही सूर्य देव की कृपा से नौकरी और बिनजेस से जुड़ी समस्याओं का निराकरण हो जाता है. ऐसे में कन्या संक्रांति के दिन सूर्य देव को विधवत अर्घ्य दें. साथ ही पवित्र नदी में स्नान करना भी पुण्यदायी होता है. इसके अलावा इस दिन पूर्वजों के निमित्त तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करने से भी शुभता आती है.
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पंचांग के अनुसार, कन्या संक्रांति के भगवान विश्वकर्मा की जयंती मनाई जाती है. यही वजह है कि इस दिन खास तौर पर औजारों और इलेक्ट्रॉनिक सामान की पूजा की जाती है. कन्या संक्रांति पर अपनी क्षमता के अनुसार जरूरतमंदों को दान-पुण्य किया जाता है. पूर्वजों के नाम से दान करना बहुत फलदायी होता है. कन्या संक्रांति के दिन सूर्यदेव की पूजा से आरोग्यता का आशीर्वाद प्राप्त होता है. मान्यता के अनुसार इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी प्रकार के पाप धुल जाते हैं.
कन्या संक्रांति 2022 पुण्य काल का मुहूर्त | Kanya Sankranti 2022 Punya Kaal Muhurat
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कन्या संक्रांति पर पुण्य काल का मुहूर्त सुबह 07 बजकर 36 मिनट से लेकर दोपहर 02 बजकर 08 मिनट तक है. वहीं, महा पुण्यकाल का मुहूर्त सुबह 07 बजकर 36 मिनट से लेकर सुबह 09 बजकर 38 मिनट तक रहने वाला है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)