Kansa Vadh 2022: क्या आपको पता है कि कंस का पिछला जन्म कैसा था, यहां जानें कुछ रोचक तथ्य

Kansa Vadh 2022: कंस वध कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. मथुरा, वृंदावन और उसके आपसास के क्षेत्र में कंस वध विशेष तौर पर मनाया जाता है. आइए जानते हैं कंस वध के जुड़ी रोचक बातें.

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Kansa Vadh 2022: कंस कि पिछला जन्म भी असुर का था.

Kansa Vadh 2022: हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध किया था. हर साल इस दिन मथुरा, वृंदावन और उसके आसपास के क्षेत्रों में कंस वध (Kansa Vadh 2022) उत्सव मनाया जाता है. इस साह यह तिथि 3 नवंबर 2022 को यानी आज है. धार्मिक मान्यताओं और पौराणिक कथाओं के मुताबिक कंस श्रीकृष्ण के मामा थे इस बात से तो सभी परिचित हैं. लेकिन वह पिछले जन्म में क्या था, इसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. ऐसे में कंस वध के अवसर पर जानते हैं कि आखिर कंस अपने पिछले जन्म में क्या था. 


 

कंस अपने पिछले जन्म में क्या था

पौराणिक मान्यताओं और धर्म ग्रंथों के अनुसार कंस पिछले जन्म में कालनेमि नाम का एक राक्षस था. कहा जाता है कि उस समय भी कालनेमि का वध भगवान विष्णु के हाथों हुआ. कहते हैं कि कालनेमि के पिता असुरपति विरोजन थे. मान्यता है कि एक बार देव और असुर संग्राम के समय कालनेमि ने क्रोधित होकर भगवान विष्णु पर अपने त्रिशूल से वार कर दिया. लेकिन भगवान विष्णु ने उसका त्रिशूल पकड़कर उसी से उसका वध कर दिया. वही कालनेमि द्वापर युग में राजा उग्रसेन का पुत्र और श्रीकृष्ण के मामा के रूप में जन्म लिया.

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कंस की थी दो पत्नियां


पौराणिक कथाओं और धर्म ग्रंथों के अनुसार, कंस की दो पत्नियां थीं. जिसका नाम प्राप्ति और अस्ति था. कंस की दोनों ही पत्नियां मगध के राजा जरासंध की बेटियां थीं. कहा जाता है कि जब श्रीकृष्ण ने कंस का वध किया तो जरासंध ने कई बार मथुरा पर हमला किया. मगर हर बार उसे पराजय का ही मुंह देखना पड़ा. मान्यता यह भी है कि श्रीकृष्ण ने भीम के हाथों जरासंध का वध करवाया. 

कंस ने अपनी बहन को भी बना लिया बंदी


कथाओं के मुताबिक कंस अपनी चचेरी बहन देवकी से बहुत प्रेम करता था. कंस ने वसुदेव से देवकी का विवाह करवाया. कहा जाता है कि जब देवकी की विदाई की घड़ी थी तब आकाशवाणी हुई कि देवकी का आठवां पुत्र ही कंस की मृत्यु का कारण बनेगा. जिसके बाद कंस ने देवकी और वसुदेव को बंदी बनाकर मथुरा के कारागार में बंद करवा दिया. लेकिन विधि का विधान ऐसा था कि आखिरकार आकाशवाणी फलित हुई और कंस का वध श्रीकृष्ण के हाथों हुआ.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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