Kalank Chaturthi 2022: इस दिन चंद्रमा देखने पर लगता है कलंक, यहां जानें सही वजह और तारीख

Kalank Chaturthi 2022: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी को कलंक चतुर्थी भी कहा जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा को देखने से कलंक लगता है.

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Kalank Chaturthi 2022: हिंदू धर्म में भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी का खास महत्व है. इस गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के दिन घर-घर में गणपति (Ganpati Utsav 2022) की प्रतिमा स्थापित करके उनकी पूजा-अर्चना की जाती है. गणपति की पूजा के साथ-साथ कलंक चतुर्थी या चौठ चांद का व्रत रखा जाता है. इस साल कलंक चतुर्थी (Kalank Chaturthi 2022 Date) 30 अगस्त को मनाई जाएगी. जबकि गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2022 Date) उसके एक दिन बाद 31 अगस्त को मनाई जाएगी. कलंक चतुर्थी के लेकर चंद्रमा से जुड़ी एक मान्यता प्रचलित है. मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा को देखना निषेध है. कहा जाता है कि चंद्रमा को देखने के कलंक लगता है. आइए जानते हैं इसकी वजह.

कलंक चतुर्थी पर इसलिए नहीं देखा जाता है चांद
 

पौराणिक मन्यता के अनुसार, भाद्रपद मास से शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी के दिन चांद्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन चांद देखने से कलंक लगता है. यही कारण है कि भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को कलंक चतुर्थी कहा जाता है. इसके पीछे का मुख्य कारण भगवान गणेश द्वारा चंद्रमा को दिया गया एक श्राप है.

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कलंक चतुर्थी की कथा | Kalank Chaturthi Katha

पौराणिक कथा के अनुसार, गणेशजी के पेट और गजमुख स्वरूप को देखकर चंद्रमा ने हंस दिया. जिस पर गणेश जी नाराज हो गए. इसके बाद उन्होंने चंद्रमा को श्राप दे दिया. उन्‍होंने चंद्रमा से कहा कि तुम्हें अपने रूप पर बड़ा गर्व है, इसलिए तुम्‍हारा क्षय हो जाएगा और कोई तुम्हें नहीं देखेगा. अगर कोई तुम्हें देखेगा तो उसे कलंक लगेगा. कहा जाता है कि इस श्राप के कारण चंद्रमा का आकार क्रमशः घटने लगा. चंद्रमा ने श्राप से मुक्ति पाने के लिए शिव जी की उपासना की. शिवजी ने चंद्रमा को गणेश जी की पूजा करने की सलाह दी. फिर गणेश जी ने कहा कि मेरे श्राप का असर समाप्‍त नहीं होगा, लेकिन इसके प्रभाव को घटा देता हूं. इससे 15 दिन तुम्‍हारा क्षय होगा लेकिन फिर बढ़कर तुम पूर्ण रूप प्राप्‍त करोगे. साथ ही भाद्रपद मास के शुक्‍ल पक्ष की चतुर्थी के दिन जो तुम्‍हें देखेगा उसे कलंक लगेगा. कहते हैं कि तब से ही सूर्य 15 दिन घटता है और 15 दिन बढ़ता है. साथ ही भाद्रपद महीने की चतुर्थी को चंद्रमा नहीं देखा जाता है और तब से ही इसका नाम कलंक चतुर्थी भी पड़ गया.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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