कजरी तीज पर माता पार्वती को भोलेनाथ ने अपनी पत्नी के रूप में किया था स्वीकार, जानें इस दिन का महत्व

करवा चौथ और कजरी तीज दोनों ऐसे पर्व हैं, जिनमें (Kajari Teej Kab Hai) सुहागिन अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं और निर्जला व्रत रखती हैं और शाम के समय चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोलती हैं.

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कजरी तीज पर माता पार्वती को भोलेनाथ ने अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था.

Kajari Teej 2024: प्रत्येक वर्ष भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज का त्यौहार मनाया जाता है. यह त्यौहार इस साल 22 अगस्त को मनाया जाएगा. ऐसा मानना है कि जितना महत्व करवा चौथ का है, उतना ही कजरी तीज (Kajari Muhurat And Significance) का भी है. बहुत सारे ज्योतिषों का ऐसा मानना है कि उत्तर भारत में विशेष तौर पर मनाए जाने वाले इस पर्व पर सुहागिन औरतें 16 श्रृंगार करके पूरे विधि-विधान (kajri teej pooja samagri) के साथ गौरीशंकर की पूजा एवं आराधना करती हैं. करवा चौथ और कजरी तीज दोनों ऐसे पर्व हैं, जिनमें (Kajari Teej Kab Hai) सुहागिन अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं और निर्जला व्रत रखती हैं और शाम के समय चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोलती हैं.

कजरी तीज को लेकर मान्यता है कि आज के दिन पूरे मन एवं श्रद्धा से मां पार्वती और शंकर भगवान की पूजा करने से विवाहित कन्याओं को अच्छा वर मिलता है और शादीशुदा महिलाओं के पति की उम्र लंबी होती है. इसीलिए अविवाहित लड़कियां सुयोग्य वर पाने के लिए इस दिन व्रत रखती हैं. इस दिन मीठे व्यंजन एवं तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं. इस दिन सभी महिलाएं एकत्रित होकर पूजा अर्चना करती हैं. यह पर्व खासकर उत्तर भारत के राज्यों में मनाया जाता है.

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मां पार्वती ने की थी 108 साल की तपस्या


पौराणिक कथाओं के अनुसार भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज पर माता पार्वती को भोलेनाथ ने अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था. मां पार्वती यह चाहती थीं कि भगवान भोलेनाथ उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करें, इसके लिए भगवान भोलेनाथ ने पार्वती मां को पहले अपनी भक्ति साबित करने के लिए कहा.

भगवान भोलेनाथ को अपने पति के रूप में पाने के दृढ़ संकल्प के साथ पार्वती मां ने 108 साल तक तपस्या करके भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न किया था. इस प्रकार जिस दिन भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती का मिलन हुआ था उस दिन को कजरी तीज के रूप में मनाया जाने लगा. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन में सुख एवं वैभव की कामना के साथ भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करती हैं.

जानें शुभ मुहूर्त


कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि 21 अगस्त को शाम 5:15 से प्रारंभ होगी और अगले दिन दोपहर 1:46 तक रहेगी. इसीलिए उदय तिथि के अनुसार 22 अगस्त को यह व्रत रखा जाएगा. इस दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 5:50 से शुरू होकर सुबह 7:30 के बीच रहेगा.

कजरी तीज पूजा एवं व्रत करने की विधि

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कजरी तीज का व्रत कुंवारी कन्या एवं सुहागिन महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन को सुखी बनाने के लिए करती हैं. इसके लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में नहा-धोकर स्वच्छ कपड़े पहनना चाहिए. इसके बाद भगवान सूर्य देवता को अर्घ्य दें और फिर अपने मंदिर की साफ-सफाई करें. मंदिर में बैठने के स्थान पर चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं एवं उस पर भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती की तस्वीर या मूर्ति रखें, इसके पश्चात भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करें और उन्हें धतूरा एवं बेलपत्र इत्यादि अर्पित करें. वही पार्वती माता को 16 श्रृंगार की सभी चीज भेंट करें. कजरी तीज की कथा का पाठ करें एवं दीप प्रज्वलित कर आरती करें. रात के समय चंद्र देवता की पूजा करें और उन्हें अलग देकर अपना व्रत पूर्ण करें.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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