Mokshada Ekadashi 2023 : हिंदू धर्म में एकादशी भगवान विष्णु की प्रिय तिथि मानी गई है. प्रत्येक साल में 24 एकादशी (Ekadashi) होती हैं. हर महीने में एक कृष्ण और एक एकादशी शुक्ल पक्ष होती है. लेकिन इस साल अधिकमास होने की वजह से 26 एकादशी पड़ी है. 2023 की आखिरी मोक्षदा एकादशी बेहद ही नजदीक है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन जातक अगर भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा विधि विधान से करें तो उनके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. साथ ही मृत्यु के समय उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. मोक्षदा एकादशी के दिन ही गीता जयंती (Geeta Jayanti) भी मनाई जाती है, क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. लेकिन, इस साल मोक्षदा एकादशी की तिथि को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है. तो आइए देवघर के ज्योतिषाचार्य से जानते हैं कि किस तारीख को मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा और इस दिन पूजा करने की क्या शुभ मुहूर्त होगा.
22 और 23 दिसंबर को रखा जाएगा एकादशी का व्रत
इस साल मोक्षदा एकादशी का व्रत दो दिन यानी 22 और 23 दिसंबर को रखा जाएगा. 22 दिसंबर को स्मार्त लोग और 23 दिसंबर को वैष्णव लोग व्रत रखेंगे. हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की विधि विधान के साथ पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती ही है साथ ही जीवन में सभी तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं. इन सबके अलावा मृत्यु के पश्चात जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
पारण का सही समय
एकादशी व्रत में पारण का बड़ा महत्व माना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, अगर जातक मुहूर्त में पारण नहीं करता है तो उसका व्रत पूरा नहीं माना जाता है. वहीं जो लोग 22 दिसंबर को व्रत रखते हैं तो वह 23 दिसंबर को सुबह 07 बजकर 49 मिनट पर पारण कर सकते हैं. जबकि जो लोग 23 दिसंबर को व्रत रखना चाहते हैं उनके लिए पारण की तिथि अगले दिन यानी 24 दिसंबर को सुबह 06 बजकर 49 मिनट पर होगी.
पूजा का शुभ मुहूर्त
भगवान विष्णु को एकादशी तिथि समर्पित है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. वहीं इस दिन, संध्या काल में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा विधि विधान से की जाती है. एकादशी के दिन भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम 04 बजे से लेकर शाम 05 बजे तक का है.
एकादशी के दिन ऐसे करें पूजा
माना जाता है कि एकादशी के 1 दिन पहले तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए. उसके अगले दिन यानी एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान कर सूर्य देव की उपासना कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इस दिन ब्रह्मचर्य रखकर एकादशी व्रत का पूरा पालन करने की परंपरा मानी जाती है. वहीं, शाम के समय पीला वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु के सामने पीले रंग का फूल, पीला फल, धूप, दीप आदि से पूजन करना होता है. फिर विष्णु भगवान के सामने 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः' मंत्र का जाप करें. इन सबके अलावा माता लक्ष्मी की भी पूजा कर आरती के साथ संपन्न करें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)