तीन देवों के आशीर्वाद से जन्में दत्तात्रेय की जयंती जानें कब है, सही तिथि पर करें पूजन, मनोकामना होंगी पूरी

Dattatreya Jayanti 2023: हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा को बेहद ही खास माना जाता है क्योंकि इस महीने में ही त्रिदेवों के संयुक्त से जन्मे भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था, जिनकी आराधना करने से आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

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Lord Dattatreya Puja : दत्तात्रेय जयंती के दिन पूजा करने से संतान की प्राप्ति और मांगी गई सभी इच्‍छा पूरी होती हैं.

Dattatreya Jayanti 2023 Date: हिंदू धर्म में अमावस्‍या, पूर्णिमा को विशेष महत्‍व माना गया है. इनमें से कुछ अमावस्‍या पूर्णिमा तिथि को बेहद ही खास माना गया है. इन्हीं खास तिथी में से एक मार्गशीर्ष (Margsheersh) माह की पूर्णिमा भी है. दरअसल, मार्गशीर्ष महीना भगवान कृष्‍ण का प्रिय महीना माना गया है. जिसकी वजह से हिंदू धर्म में इस महीने की पूर्णिमा (Purnima) को विशेष दर्जा माना जाता है. इस वर्ष मार्गशीर्ष पूर्णिमा 26 दिसंबर 2023 को पड़ रहा है. इस दिन दत्तात्रेय जयंती (Dattatreya Jayanti) भी मनाई जाती है. भगवान दत्तात्रेय भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शिव के अंश हैं. दत्तात्रेय भगवान त्रिदेव के मिलेजुले रूप माने जाते हैं. मान्यता है कि दत्तात्रेय जयंती पर तीनों देवताओं के बालरूप की पूजा होती है. दत्तात्रेय जयंती के दिन पूजा करने से संतान की प्राप्ति और मांगी गई सभी इच्‍छा पूरी होती हैं. इनके अलावा इस दिन अन्‍नपूर्णा जयंती भी मनाई जाती है.

दत्तात्रेय जयंती 2023 की तिथि 

हिंदी पंचांग के मुताबिक, मार्गशीर्ष पूर्णिमा 26 दिसंबर 2023 की सुबह 05 बजकर 46 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 27 दिसंबर 2023 की सुबह 06 बजकर 02 मिनट पर समाप्‍त होगी. इस दौरान पूजा के लिए 3 शुभ मुहूर्त हैं. दत्तात्रेय जयंती पर त्रिदेवों की पूजा होती है. इस साल दत्तात्रेय जयंती पर पूजा करने के 3 शुभ मुहूर्त हैं.

पूजा के शुभ मुहूर्त

पहला, दत्तात्रेय जयंती पूजा का सुबह का मुहूर्त - सुबह 09.46 से लेकर दोपहर 12.21

दूसरा,  दत्तात्रेय जयंती पूजा का दोपहर का मुहूर्त - दोपहर 12.21 से दोपहर 01.39

तीसरा, दत्तात्रेय जयंती पूजा का शाम का मुहूर्त - रात 07.14 से लेकर रात 08.56

कौन हैं भगवान दत्तात्रेय

पौराणिक क‍थाओं के मुताबिक, भगवान दत्तात्रेय महर्षि अत्रि मुनि और उनकी पत्नी अनुसूया की संतान हैं. एक बार त्रिदेव यानी ब्रह्मा-विष्‍णु और महेश ने माता अनुसूया के पतिव्रत धर्म की परीक्षा ली थी और उसमें अनुसूया सफल हो गईं थीं. तब तीनों देवता काफी प्रसन्न हुए थे और फिर इन तीनों देवों के संयुक्त रूप में भगवान दत्तात्रेय का जन्‍म हुआ. भगवान दत्तात्रेय के 3 मुख और 6 हाथ होते हैं. गाय और श्वान हमेशा इनके साथ रहते हैं. भगवान दत्तात्रेय के अंदर गुरु और भगवान दोनों का स्वरूप माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि भगवान दत्तात्रेय की पूजा करने से त्रिदेवों का आशीर्वाद एक साथ मिलता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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