Daily Worship Method : भक्त रोज पूजा करते हुए इन नियम का करें पालन, मान्यता है कि ये चीजें चढ़ाने से खुश होते हैं प्रभु!

Daily Worship Method: पूजा-पाठ का विशेष महत्व है. मान्यतानुसार, रोज की पूजा में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है. मान्यता है कि विधिवत पूजा करने से उसका लाभ मिलता है.

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Daily Worship Method: पूजा के दौरान कुछ बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है.

Daily Worship Method: हिंदू धर्म में पूजा-पाठ (Puja Path) का विशेष महत्व है. कुछ लोग नियमित रूप से भगवान की पूजा (Worship of God) करते हैं. शास्त्रों में पूजा के लिए खास नियम (Puja Ke Niyam) बताए गए हैं. कहा जाता है कि विधिवत पूजा करने से उसका फल भी मिलता है. पूजा के दौरान कुछ बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है. इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि पूजा के लिए उचित आसन, भोग इत्यादि का खास ख्याल रखना चाहिए. आइए जानते हैं कि रोज की पूजा में किन बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है.


पूजा के लिए आसन

शास्त्रों में हर भगवान की पूजा के लिए अलग-अलग आसन के बारे में बताया गया है. पूजा आरंभ करने से पहले सर्वप्रथम यह ध्यान रखा जाता है कि आसन किस चीज का है और उसका रंग कैसा है. दरअसल अलग-अलग आसन का अलग-अलग महत्व होता है. आमतौर पर पूजा में कंबल या ऊन से बने आसन का इस्तेमाल किया जाता है. मां दुर्गा, मां लक्ष्मी और हनुमानजी की पूजा के लिए लाल रंग के आसन का इस्तेमाल किया जाता है. वैसे मंत्र की सिद्धि के लिए कुश का आसन सबसे अच्छा माना गया है. 

पूजा के दौरान किस ओर रखें मुंह


पूजा के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले दीपक का स्थान बार-बार बदला नहीं जाता है. तिल के तेल का दीपक बाईं ओर रखा जाता है और घी का दीपक दाईं ओर. साथ ही अन्य पूजन सामग्री को बाईं ओर रखा जाता है. पूजा के दौरान जिनते लोग बैठे हों, उनका मुंह भगवान की ओर होना चाहिए. इसके अलावा पूजा के दौरान दीपक से दीपक नहीं जलाया जाता है.  

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भगवान को क्या चढ़ाएं

शास्त्रीय मान्यताओं के मुताबिक भगवान गणेश को तुलसी और दूर्वा चढ़ाया जाता है. भगवान शिव को बेलपत्र, अक्षत, आक के फूल, धतूरे आदि चढ़ाए जाते हैं. सूर्य देव को कनेर का फूल अर्पित किया जाता है. मां दुर्गा को लाल फूल और भगवान विष्णु को तुलसी चढ़ाई जाती है. वहीं भगवान विष्णु को अक्षत और सूर्य देव को बेलपत्र नहीं चढ़ाए जाते हैं. वहीं पूजा के दौरान कुछ लोग देवी-देवताओं को लगाए गए तिलक-चंदन को खुद के माथे पर लगा लेते हैं. शास्त्रों में इसे सही नहीं माना गया है. इसलिए पूजा के दौरान भगवान को लगाए चंदन को खुद के मस्तक पर नहीं लगाना चाहिए. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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