Holi 2021: क्यों, कब और कैसे मनाया जाता है होलिका दहन? यहां जानें- शुभ मुहूर्त

होलिका दहन के दौरान, पारंपरिक रूप से लोग अलाव के आसपास इकट्ठा होते हैं. सूरज ढलने के बाद होलिका दहन किया जाता है. इसके चारों ओर धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं. लोग लोकगीत भी गाते हैं.

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नई दिल्ली:

Holika Dahan 2021: आज छोटी होली है, यानी आज ही के दिन  होलिका दहन होगा.  बता दें, ये त्योहार  पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है. पहले दिन को होलिका दहन कहते हैं. दूसरे दिन, जिसे धुलेंडी व धुरड्डी, धुरखेल या धूलिवंदन आदि नामों से जाना जाता है. आइए जानते हैं क्या है होलिका दहन का महत्व और क्या है मुहूर्त .

पौराणिक आधार पर, "होलिका" शब्द "होलिका" से लिया गया, जो राक्षस राजा हिरण्यकश्यप की दुष्ट बहन थी. होलिका दहन की पूर्व संध्या पर होलिका दहन किया जाता है. और फिर उत्सव शुरू होता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन करने की परंपरा है. इस साल होली का त्योहार 28 मार्च और 29 मार्च को है. दरअसल होली का पर्व रंगों का पर्व है. इस दिन एक दूसरे से गले मिलकर रंग लगाते हैं. रंग का अर्थ प्रेम से हैं. माना जाता है कि होली की पूजा जीवन में सुख समृद्धि लाती है और रोग आदि से भी मुक्ति दिलाती है. पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद को होलिका से बचाया था. भगवान विष्णु की लीला से होलिका स्वयं जलकर भस्म हो गई.

होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. होलिकि का दहन के बड़े सार्वजनिक समारोहों की आमतौर पर समुदायों में योजना बनाई जाती है, लेकिन इस साल कोविड संक्रमणों के कारण, केंद्र और राज्य दोनों सरकारों ने सख्त प्रतिबंध लगाए हैं. किसी भी बड़े सार्वजनिक होली सेलेबेशन की अनुमति नहीं है. लोग हालांकि छोटे पड़ोस होलिका दहन को पकड़ सकते हैं और कोविड के दिशानिर्देशों का पालन करना और सुरक्षित होना सबसे अच्छा है.

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फाल्गुन माह में पूर्णिमा के दिन हिंदू कैलेंडर के अनुसार होली मनाई जाती है. यह जीवंत वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है और इसलिए इसे वसंत उत्सव भी कहा जाता है. ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे कुछ राज्यों में होली को डोल जात्रा (Dol Jatra) या डोल पूर्णिमा ( Dol Purnima) के रूप में जाना जाता है.

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होलिका दहन पर लोग क्या करते हैं?

होलिका दहन के दौरान, पारंपरिक रूप से लोग अलाव के आसपास इकट्ठा होते हैं. सूरज ढलने के बाद  होलिका दहन किया जाता है. इसके चारों ओर धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं. लोग लोकगीत भी गाते हैं.

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कब होगा होलिका दहन

इस साल होलिका दहन मुहूर्त का समय 28 मार्च को शाम 6:37 बजे से रात 8:56 बजे तक है.

होलिका दहन की रस्म के लिए आपको जो सामान चाहिए

होलिका दहन पूजा के लिए आपको एक कटोरी पानी, रोली, अखंडित चावल के दाने या अक्षत, सिन्दूर, फूल, कच्चे सूत के धागे, हल्दी के टुकड़े, अखंड मूंग की दाल, बटाशा (चीनी या गुड़ कैंडी), नारियल और गुलाल की आवश्यकता होगी.

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होलिका दहन अनुष्ठान कैसे करें

होलिका के चारों ओर कपास का धागा लपेटा जाता है, जो सात या तीन बार घूमता है. उसके बाद, अन्य सभी समाग्री (आइटम) का पानी एक-एक करके होलिका को समर्पित किया जाता है. मंत्र कहते हुए चावल और फूल का उपयोग किया जाता है. अनुष्ठान खत्म होने के बाद होलिका दहन किया जाता है.  

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