Holi 2020: होली का पाकिस्तान के इस शहर से है गहरा रिश्ता, नरसिंह के इस मंदिर से जुड़ा है इतिहास

Holi 2020: होली (Holi 2020) के इस पर्व में पकवानों के साथ-साथ हर तरफ रंगों की बौछार होती है. लेकिन क्या आपको मालूम है कि भारत के इस सबसे प्रसिद्ध त्योहार का संबंध पाकिस्तान से है? माना जाता है कि होली की शुरुआत भारत में नहीं बल्कि पाकिस्तान से हुई.

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होली का पाकिस्तान से भी है गहरा रिश्ता.
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10 मार्च को मनाई जाएगी होली
9 मार्च की शाम को किया जाएगा होलिका दहन
होली का पाकिस्तान से जुड़ा हुआ है इतिहास
नई दिल्ली:

10 मार्च को पूरे देश में होली (Holi) बड़ी ही धूमधाम से मनाई जाएगी. इससे पहले 9 मार्च की शाम को होलिका दहन (Holika Dahan) किया जाएगा. होली (Holi 2020) के इस पर्व में पकवानों के साथ-साथ हर तरफ रंगों की बौछार होती है. लेकिन क्या आपको मालूम है कि भारत के इस सबसे प्रसिद्ध त्योहार का संबंध पाकिस्तान से है? माना जाता है कि होली की शुरुआत भारत में नहीं बल्कि पाकिस्तान से हुई. इसके पीछे बेहद ही खास वजह बताई जाती है और वो है पाकिस्तान के मुल्तान शहर में मौजूद प्रल्हादपुरी मंदिर (Prahladpuri Temple). 

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माना जाता है कि हिरण्यकश्यप के बेटे प्रल्हाद ने भगवान नरसिंह (विष्णु के अवतार) के सम्मान में एक मंदिर बनवाया, जो फिलहाल पाकिस्तान के शहर मुल्तान में आता है. भगवान नरसिंह ने ही खंभे में अपने दर्शन देकर भक्त प्रल्हाद की जान बचाई थी. इसी मंदिर से होली (Holi) की शुरुआत हुई. यहां दो दिनों तक होलिका दहन (Holika Dahan) उत्सव और होली पूरे नौ दिनों तक मनाई जाती थी.

इस जगह पर भारत में मनाई जाने वाली जनमाष्टमी (Janmashtami) की तरह होली वाले दिन मटकी फोड़ी जाती है. मटकी को ऊंचाई पर लटकाया जाता है. फिर पिरामिड के आकार में एक के ऊपर एक चढ़कर मटकी फोड़ी जाती है. खास बात, इस मटकी में भी मक्खन और मिश्री भरी होती है. पाकिस्तान के मुल्तान में इस पर्व को चौक-पूर्णा त्योहार कहा जाता है.

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वहीं, आपको बता दें भगवान नरसिंह के इस पहले मंदिर को नुकसान पहुंचाया गया. स्पीकिंग ट्री के मुताबिक भारत में बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) को गिराने के बाद पाकिस्तान में कई हिंदू मंदिरों को गिराया गया, जिनमें से एक प्रल्हादपुरी मंदिर भी था. 

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लेकिन अब इस मंदिर में रखी भगवान नरसिंहा की मूर्ति हरिद्वार में है, जिसे बाबा नारायण दास बत्रा भारत लेकर आए. नारायण दास प्रसिद्ध वयोवृद्ध संत हैं, जिन्होंने भारत में कई स्कूलों और कॉलेजों का निर्माण कराया. समाज के उत्थान के लिए किए गए कार्यों के लिए उन्हें साल 2018 में पद्मश्री से भी नवाज़ा गया. 

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