Holika Dahan 2022 : होलिका दहन का ये है होगा समय, इस दिन मनाई जाएगी होली, जानें होलाष्टक कब से होंगे शुरू

Holika Dahan 2022 Shubh Muhurta : होलिका दहन का सही समय को लेकर बहुत ही असमंजस की स्थिति है इस बार. वहीं, होली 18 को होगी या 19 को. चलिए आपको बताते है कि होलिका दहन और होली का शुभ मुहूर्त और जरूरी चीजें. 

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holika dahan 2022 : चलिए आपको बताते है कि होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और जरूरी चीजें. 

holashtak 2022 date : होली की तारीख को लेकर भक्तों में थोड़ा असमंजस की स्थिति बनी हुई है. भक्तों को बता दें कि फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन का पर्व मनाया जाएगा.गौरतलब है कि इस बार यह शुभ तिथि 17 मार्च दिन गुरुवार को है, वहीं धुलेंडी 18 मार्च शुक्रवार को मनाई जाने वाली है. वहीं कुछ जगहों पर 19 मार्च शनिवार को धुलेंडी का पर्व मनाई जाएगी. वैसे होली के एक दिन पहले पूर्णिमा तिथि पर होलिका दहन किया जाता है. भारत ही नहीं विदेशो में भी भारतीय रंगों का यह उत्सव प्रेम और उत्साह के साथ मनाया जाता है. होली का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. होली से ठीक 8 दिन पहले होलाष्टक लग जाते हैं. इसके लगते ही इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते. चलिए आपको बताते है कि होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और जरूरी चीजें. 

होलिका दहन का इतनी देर रहेगा मुहूर्त

ज्योतिषों के मुताबिक 17 मार्च को भद्रा दोपहर 1: 20 से रात 12:57 बजे तक ही रहेगी. ऐसे में रात 12:58 से रात 2:12 बजे तक होलिका दहन किया जा सकता है. इसके पश्चात ब्रह्म मुहूर्त शुरू हो जाएगा और पूर्णिमा अगले दिन 18 मार्च को दोपहर 12:52 बजे तक रहेगी. बता दें कि उदयातिथि में पूर्णिमा रहने से इसका मान संध्या काल तक ही बना रहेगा. दूसरी ओर, प्रतिपदा 19 मार्च को दोपहर 12:13 बजे तक है.  

 रात्रिकाल है जरूरी

ज्योतिषों के मुताबिक होलिका दहन के लिए रात, भद्रा मुक्त और पूर्णिमा तिथि होना बेहद जरूरी है. यह संयोग 17 मार्च की रात 1 बजे के बाद है. वहीं, 18 मार्च को सुबह के समय उदया में पूर्णिमा मिल रही है, लेकिन रात्रिकाल में प्रतिपदा लग रही है. वहीं कुछ जगहों पर रंगोत्सव का पर्व 18 मार्च को और वहीं कुछ जगहों पर उदयातिथि में प्रतिपदा का मान लेते हुए 19 मार्च को भी रंगोत्सव मनाया जाएगा. वहीं, मथुरा और वृंदावन वगैरह जगहों पर 19 मार्च को होली खेली जाएगी. 

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होलिका दहन की यह है पूजा विधि

लोग होलिका दहन की तैयारियां कई दिनों पहले से ही शुरू कर देते हैं, क्योंकि होलिका दहन के लिए कई चीजों की जरूरत होती है. होलिका दहन के लिए लकड़ियों, उपले और अन्य जलने वाली चीजों को एकत्रित करके फिर उन्हें ढक दिया जाता है. वहीं, इन सभी चीजों को फाल्गुन पूर्णिमा के दिन शुभ मुहूर्त में जला दिया जाता है. होलिका दहन के समय छेद वाले उपले, गेंहू की बालियां और उबटन वगैरह डाले जाते हैं.  मान्यता के अनुसार ऐसा करने से व्यक्ति को आरोग्य की प्राप्ति होती है और सारी नकारात्मक शक्तियां होलिक दहन में जल कर राख हो जाती हैं. कई जगहों पर होलिका दहन की राख को माथे पर लगाने की भी परंपरा है. 

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यह है होलाष्टक का समय 

होली से पहले 10 से 18 मार्च तक होलाष्टक का समय रहेगा. इस दौरान मांगलिक कार्य नहीं करने होते हैं. वहीं महामृत्युंजय जाप, नारायण स्रोत पाठ, विष्णुसहस्त्र नाम जाप बेहद लाभदायक रहेगा. 14 मार्च को रंगभरी एकादशी पर भगवान की प्रतिमाओं को रंग अर्पित किए जाते हैं और 25 मार्च को शीतलाष्टमी मनाई जाएगी.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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