Lalbaugcha Raja Visarjan: विसर्जन में देरी से लालबाग के राजा के भक्तगण हुए निराश तो धर्माचार्यों ने भी उठाए सवाल

Lalbaugcha Raja Visarjan 2025: मुंबई की शान माने जाने वाले लाल बाग के राजा का तकरीबन 35 घंटे की देरी के बाद आखिरकार विसर्जन हो गया लेकिन इसमें हुई देरी और शुभ-अशुभ समय को लेकर एक ओर जहां बप्पा के भक्त निराश हुए तो वहीं धर्माचार्यों ने भी परंपरा के टूटने पर सवाल उठाए हैं.

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Lalbaugcha Raja Visarjan 2025

Lal Bagh Ka Raja Visarjan 2025: सनातन परंपरा में गणेश चतुर्थी के दिन गणपति को बिठाने से लेकर अनंत चतुर्दशी के दिन विसर्जन करने तक के लिए शुभ मुहूर्त का हमेशा ख्याल रखा जाता है, लेकिन इस साल यह परंपरा लाल बाग के राजा के विसर्जन को लेकर टूटती नजर आई. भले ही विसर्जन में यह देरी परिस्थितियों के प्रतिकूल होने के कारण हुई हो लेकिन गणपति के भक्त को सूतक काल में उनकी विदाई नहीं भायी. गणपति भक्तों की इस निराशा और परंपरा के टूटने को लेकर धर्माचार्य भी इस पर सवाल उठा रहे हैं. आइए जानते हैं कि गणपति पूजन और विसर्जन को लेकर क्या कहता है धर्मशास्त्र? यदि वाकई गणपति विसर्जन में कोई भूल-चूक हुई है तो उसका प्रायश्चित क्या है? 

धार्मिक मान्यता का हुआ उल्लंघन

लाल बाग के राजा के विसर्जन में हुई देरी और शुभ मुहूर्त के विषय को लेकर मुम्बई विले पार्ले संन्यास आश्रम के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर श्री स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि जी महाराज का कहना है कि ऐसा नहीं है कि लाल बाग के राजा से जुड़ी कमेटी में धर्म-कर्म को जानकार नहीं हैं, लेकिन धार्मिक मान्यता और मर्यादा का उल्लंघन तो हुआ है. हमारी मान्यता है कि गणपति को अनंत चतुर्दशी के दिन अधिक से अधिक सायंकाल तक गणपति का विसर्जन शुभ मुहूर्त को देखकर देना चाहिए, लेकिन बीते कुछ वर्षों से गणपति विसर्जन में देरी की परंपरा सी चल पड़ी है. 

Photo Credit: PTI

बड़े गणपति के विसर्जन को लेकर बनाए जाएं नियम

स्वामी विश्वेश्वरानंद के अनुसार जिस तरह से प्रशासन ने 6 फीट के गणपति को उनके द्वारा बनाये गये तालाब में विसर्जित करने का नियम बनाया हुआ है, उसी तरह बड़े गणपति के लिए भी कुछेक नियम बनाये जाने चाहिए,​ जिससे गणपति विसर्जन की मर्यादा और गणेश भक्तों की भावना दोनों बनी रहे. लाल बाग के राजा की कमेटी से जुड़े लोगों को समझना होगा कि हमारा सनातन धर्म परंपरा के आधार पर ही चल रहा है. स्वामी विश्वेश्वरानंद कहते हैं कि - यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः. अर्थात् श्रेष्ठ पुरुष जैसा आचरण करता है, अन्य लोग भी वैसा ही आचरण करते हैं, इसलिए गणपति की प्रतिमा का पूजन और विसर्जन हमेशा शुभ मुहूर्त में ही होना चाहिए. 

गणपति विसर्जन में हुई है भूल

श्रीमहानिर्वाणी अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी चिदंबरानंद सरस्वती के अनुसार शास्त्रों में विसर्जन का उल्लेख तो आता है लेकिन अमुक दिन ही गणपति का विसर्जन हो, ऐसा कोई उल्लेख नहीं है. परिस्थि​तियों के चलते अगर विसर्जन टलता है तो दूसरे दिन किया जा सकता है लेकिन शुभ मुहूर्त का हमें हमेशा ख्याल रखना चाहिए. ग्रहण काल और उसके लिए लगने वाले सूतक से पहले लाल बाग के राजा का विसर्जन हो जाना चाहिए था. इन लोगों ने विसर्जन को लेकर गलती तो की है और इन्हें इस भूल का दंड तो मिलेगा. मेरे हिसाब से मिलना भी चाहिए क्योंकि आधुनिकता की चकाचौंध में परंपराओं का परित्याग नहीं करना चाहिए. 

शुभ मुूहूर्त का हमेशा रखना चाहिए ध्यान

लाल बाग के राजा से जुड़े लोग लंबे समय से गणपति का विसर्जन करते रहे हैं और उन्हें पता है कि उन्हें समुद्र तट पर पहुंचने में कितना समय लगता है. यदि उन्हें पता है कि गणपति को ले जाने में 12 घंटे लगते हैं तो उन्हें सुबह 08 बजे ही निकल जाना चाहिए था. स्वामी चिदंबरानंद सरस्वती के अनुसार शास्त्र की दो मान्य परंपराएं हैं कि विसर्जन की कोई तिथि निर्धारित नहीं है और यदि परिस्थितियों के चलते एक दो दिन बाद होता है तो कोई बात नहीं है लेकिन ग्रहण, सूतक और अशुभ समय का तो हमें ध्यान रखना ही चाहिए. 

विषम परिस्थितियों में टल सकता है विसर्जन

लाल बाग के राजा के विसर्जन में हुई देरी और उससे लगने वाले दोष को लेकर श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत (Sanskrit) विश्वविद्यालय के पौरोहित विभाग के प्रोफेसर रामराज उपाध्याय का कहना है कि सामान्य परिस्थिति में गणपति विसर्जन शुभ तिथि, शुभ नक्षत्र और शुभ मुहूर्त में करने की परंपरा रही है. हिंदू मान्यता के अनुसार गणपति का विसर्जन अनंत चतुर्दशी करना शुभ माना गया है लेकिन यदि कोई विषम परिस्थिति है तो उसे देखते हुए व्यक्ति अपना निर्णय ले सकता है, लेकिन असामान्य परिस्थितियों में जब यह असंभव हो उसे शुभ मुहूर्त का विचार करके विधि-विधान से विसर्जन करना चाहिए. 

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अगर भूल हुई तो उसका ऐसे करें प्रायश्चित

प्रो. राम राज उपाध्याय के अनुसार यदि लाल बाग के राजा के विसर्जन में कोई त्रुटि हुई है तो उसके लिए उन्हें इसके लिए प्रायश्चित करते हुए गणपति से क्षमा प्रार्थना करना चाहिए. प्रो. राम राज उपाध्याय के अनुसार गणपति अथर्वशीर्ष सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति और क्षमायाचना के लिए पढ़ा जाता है. ऐसे में इस भूल के लिए उन्हें इसका श्रद्धापूर्वक पाठ करना चाहिए तथा भविष्य में ऐसी गलती न होने पाए इसके लिए संकल्प लेना चाहिए. 

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क्या होता है शुभ मुहूर्त 

हिंदू मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में किसी कार्य को करने से वह बगैर किसी बाधा के मनचाहे तरीके से पूर्ण होता है. शुभ मुहूर्त में काम करने पर वह जिस संकल्प के लिए किया जाता है, उस संकल्प की पूर्ति होती है. यह शुभ मुहूर्त अक्सर पंचांग की मदद से देखा जाता है. जैसे अभिजिति मूहूर्त प्रतिदिन आता है और इसमें किसी कार्य को करने पर वह पूर्ण रूप से फलदायी होता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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