पहली बार एक आम भारतीय को जन्म के 300 साल बाद मिलेगी संत की उपाधि, अगले साल पोप करेंगे कैननाइज़

चर्च के अधिकारियों ने बुधवार को तिरुवनंतपुरम में कहा, कि पोप फ्रांसिस, 15 मई, 2022 को वेटिकन में सेंट पीटर्स बेसिलिका में संत उपाधि की घोषणा के दौरान, छह अन्य संतों के साथ देवसहायम पिल्लई को संत घोषित करेंगे.

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पहली बार एक आम भारतीय को जन्म के 300 साल बाद मिलेगी संत की उपाधि, अगले साल पोप करेंगे कैननाइज़
पहली बार एक आम भारतीय को जन्म के 300 साल बाद मिलेगी संत की उपाधि, अगले साल पोप करेंगे कैननाइज़

18वीं शताब्दी में ईसाई धर्म अपनाने वाले हिंदू देवसहायम पिल्लई (Devasahayam Pillai) संत की उपाधि प्राप्त करने वाले पहले भारतीय आम आदमी बन जाएंगे. चर्च के अधिकारियों ने बुधवार को तिरुवनंतपुरम में कहा, कि पोप फ्रांसिस, 15 मई, 2022 को वेटिकन में सेंट पीटर्स बेसिलिका में संत उपाधि की घोषणा के दौरान, छह अन्य संतों के साथ देवसहायम पिल्लई को संत घोषित करेंगे.

चर्च ने अधिकारियों ने कहा, कि प्रक्रिया पूरी होने के साथ पिल्लई, जिन्होंने 1745 में ईसाई धर्म अपनाने के बाद ‘लेजारूस' नाम रख लिया था, संत बनने वाले भारत के पहले व्यक्ति बन जाएंगे. स्थानीय भाषा में ‘लेजारूस' या "देवसहायम", जिसका अर्थ है "भगवान मेरी मदद है".

वेटिकन द्वारा तैयार एक नोट में कहा गया है, "प्रचार करते समय, उन्होंने विशेष रूप से जातिगत मतभेदों के बावजूद सभी लोगों की समानता पर जोर दिया. इससे उच्च वर्गों के प्रति घृणा पैदा हुई और उन्हें 1749 में गिरफ्तार कर लिया गया. बढ़ती कठिनाइयों को सहन करने के बाद, जब उन्हें 14 जनवरी 1752 को गोली मार दी गई तो उन्हें शहीद का दर्जा मिला."

उनके जीवन और शहादत से जुड़े स्थल तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के कोट्टार सूबा में हैं. देवसहायम को उनके जन्म के 300 साल बाद 2 दिसंबर 2012 को कोट्टार में धन्य घोषित किया गया था. उनका जन्म 23 अप्रैल, 1712 को कन्याकुमारी जिले के नट्टलम में एक हिंदू नायर परिवार में हुआ था, जो तत्कालीन त्रावणकोर साम्राज्य का हिस्सा था.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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