Hartalika Teej 2025:  कल सुबह या शाम आखिर कब होगी हरतालिका तीज की पूजा, जानें सही समय

Hartalika Teej 2025: भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि पर ​किस समय महादेव और माता पार्वती की पूजा किस समय करनी चाहिए? पंचांग के अनुसार हरतालिका तीज की पूजा के लिए सुबह या शाम को रहेगा शुभ मुहूर्त? दूर करें अपना सारा कन्फ्यूजन? जानें हरतालिका तीज की पूजा की सही विधि.

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हरतालिका तीज व्रत की पूजा किस समय करें?

Hartalika Teej 2025 Puja Time: हिंदू धर्म में हरतालिका तीज व्रत का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. मान्यता है कि भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि पर रखे जाने वाले इस व्रत को जो सुहागिन महिला विधि-विधान से करती है, उसे अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है. उस पर पूरे साल भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद बरसता है. इस व्रत को यदि कुंआरी कन्याएं करती हैं तो उन्हें मनचाहा जीवनसाथी मिलता है. जिस हरतालिका तीज व्रत के बारे में लोकमान्यता है कि इसे करते ही वैवाहिक सुख में आ रही समस्याएं दूर और सुख-सौभाग्य में बढ़ोत्तरी होती है, आइए उसकी पूजा विधि और शुभ समय के बारे में विस्तार से जानते हैं. 

कब करना चाहिए हरतालिका तीज की पूजा 

हिंदू धर्म में पूजा-पाठ हो या फिर कोई मांगलिक अवसर, हर काम को शुभ मुहूर्त में करने की परंपरा रही है. ऐसे में सुखी वैवाहिक जीवन और मनचाहे वर की कामना को पूरा करने वाले हरतालिका तीज की पूजा के लिए सबसे उत्तम समय कल सुबह के समय बन रहा है. पंचांग के अनुसार कल दोपहर 01:54 बजे तृतीया तिथि समाप्त हो जाएगी. ऐसे में प्रात:काल 05:56 से 08:31 बजे के बीच हरतालिका तीज की पूजा विधि-विधान से करना ही उचित रहेगा. 

हरतालिका तीज पर कैसे करें शिव-पार्वती की पूजा 

हरतालिका तीज पर सुबह स्नान-ध्यान करके सबसे पहले इस व्रत को विधि-विधान से करने का संकल्प करें. इसके बाद एक चौकी पर गौरा-पार्वती की मिट्टी की प्रतिमा रखकर उसे जल से पवित्र करें. इसके बाद भगवान शिव को दूध, दही, शहन आदि से स्नान कराएं. इसके बार एक बार फिर गंगाजल अर्पित करें. फिर महादेव को पुष्प, फल, मिष्ठान, बेलपत्र, शमीपत्र, धतूरा, बेल फल आदि जो कुछ आपके पास उपलब्ध हो उसे श्रद्धापूर्वक अर्पित करें. 

माता पार्वती के अलावा किसने किया था हरतालिका तीज का व्रत, जानें पूजा के नियम और लाभ

इसके पश्चात् माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करते हुए उन्हें श्रृंगार की सारी सामग्री अर्पित करें. पूजन की प्रक्रिया पूरी करने के बाद हरतालिका तीज की कथा कहें या फिर किसी के माध्यम से सुनें. हरतालिका तीज की पूजा आरती के बगैर और यह व्रत पारण के बगैर अधूरा होता है. ऐसे में पूजा के अंत में आरती करें और सभी को प्रसाद बांटें. दूसरे दिन प्रात:काल शुभ मुहूर्त में इस व्रत का पारण करें. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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