हरियाली अमावस्या के दिन करें पितृ चालीसा का पाठ, पितृ दोष से मिलेगी मुक्ति

इस बार 2 अगस्त शुक्रवार 2024 को अमावस्या (Hariyali Amavasya 2024) है, इस दिन अगर पितरों के तर्पण के साथ उनकी चालीसा का पाठ किया जाए तो उन्हें पितृ दोष से मुक्ति मिलती है.

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Pitru chalisha on Hariyali Amavasya : इस दिन चालीसा का पाठ किया जाए तो उन्हें पितृ दोष से मुक्ति मिलती है.

Hariyali Amavasya pitru chalisha path: सावन के महीने में पड़ने वाली अमावस्या (Amavasya) का बहुत महत्व है. यह दिन पितरों के तर्पण के लिए खास होता है. ऐसा कहते हैं कि इस दिन किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. लेकिन यह तिथि दान-पुण्य के वास्ते और पूजा-पाठ के लिए अच्छी मानी जाती है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पितरों (Pitru) का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष मिलता है. अगर ज्योतिष शास्त्र (Astrology) की बात करें तो इस तिथि को लेकर कई नियम बताए गए हैं, जिनका पालन सबको करना चाहिए. किसान इस दिन खेती में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की पूजा करते हैं साथ ही भगवान से अच्छी फसल की कामना करते हैं. इस बार 2 अगस्त शुक्रवार 2024 को अमावस्या (Hariyali Amavasya 2024) है, इस दिन अगर पितरों के तर्पण के साथ उनकी चालीसा का पाठ किया जाए तो उन्हें पितृ दोष से मुक्ति मिलती है.

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पूजन सामग्री क्या होनी चाहिए


इस दिन पूजा के लिए बेलपत्र, सफेद फूल, गेंहू, ज्वार, सिंदूर, अगरबत्ती, धूपबत्ती, चमेली का तेल, कमल, नीलकमल, सफेद वस्त्र, गंगाजल, दूर्वा, कुशा, कच्चा दूध, महालक्ष्मी यंत्र शंख, समेत पूजा की सभी सामग्री एकत्रित कर लें.

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हरियाली अमावस्या के दिन पूजा विधि


हरियाली अमावस्या के दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर लें.
स्नान के बाद साफ कपड़ें धारण कर मंदिर की सफाई करें.
मंदिर में शिव-गौरी की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए और उन्हें फूल, धूप, फल और दीप अर्पित करें.
पूजा के समय शिव-पार्वती को मालपुआ या खीर का भोग लगाएं.
शिव मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें.
अंत में शिव-गौरी के साथ सभी देवी-देवताओं की आरती करें.

पितृ चालीसा

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दोहा

हे पितरेश्वर आपको दे दियो आशीर्वाद,
चरण शीश नवा दियो रख दो सिर पर हाथ .
सबसे पहले गणपत पाछे घर का देव मनावा जी .
हे पितरेश्वर दया राखियो, करियो मन की चाया जी . .

..चौपाई..

पितरेश्वर करो मार्ग उजागर,
चरण रज की मुक्ति सागर.

परम उपकार पित्तरेश्वर कीन्हा,
मनुष्य योणि में जन्म दीन्हा .

मातृ-पितृ देव मन जो भावे,
सोई अमित जीवन फल पावे .

जै-जै-जै पित्तर जी साईं,
पितृ ऋण बिन मुक्ति नाहिं .

चारों ओर प्रताप तुम्हारा,
संकट में तेरा ही सहारा .

नारायण आधार सृष्टि का,
पित्तरजी अंश उसी दृष्टि का .

प्रथम पूजन प्रभु आज्ञा सुनाते,
भाग्य द्वार आप ही खुलवाते .

झुंझनू में दरबार है साजे,
सब देवों संग आप विराजे .

प्रसन्न होय मनवांछित फल दीन्हा,
कुपित होय बुद्धि हर लीन्हा .

पित्तर महिमा सबसे न्यारी,
जिसका गुणगावे नर नारी .

तीन मण्ड में आप बिराजे,
बसु रुद्र आदित्य में साजे .

नाथ सकल संपदा तुम्हारी,
मैं सेवक समेत सुत नारी .

छप्पन भोग नहीं हैं भाते,
शुद्ध जल से ही तृप्त हो जाते .

तुम्हारे भजन परम हितकारी,
छोटे बड़े सभी अधिकारी .

भानु उदय संग आप पुजावे,
पांच अँजुलि जल रिझावे .

ध्वज पताका मण्ड पे है साजे,
अखण्ड ज्योति में आप विराजे .

सदियों पुरानी ज्योति तुम्हारी,
धन्य हुई जन्म भूमि हमारी .

शहीद हमारे यहाँ पुजाते,
मातृ भक्ति संदेश सुनाते .

जगत पित्तरो सिद्धान्त हमारा,
धर्म जाति का नहीं है नारा .

हिन्दू, मुस्लिम, सिख,
ईसाई सब पूजे पित्तर भाई .

हिन्दू वंश वृक्ष है हमारा,
जान से ज्यादा हमको प्यारा .

गंगा ये मरुप्रदेश की,
पितृ तर्पण अनिवार्य परिवेश की .

बन्धु छोड़ ना इनके चरणाँ,
इनकी कृपा से मिले प्रभु शरणा .

चौदस को जागरण करवाते,
अमावस को हम धोक लगाते .

जात जडूला सभी मनाते,
नान्दीमुख श्राद्ध सभी करवाते .

धन्य जन्म भूमि का वो फूल है,
जिसे पितृ मण्डल की मिली धूल है .

श्री पित्तर जी भक्त हितकारी,
सुन लीजे प्रभु अरज हमारी .

निशिदिन ध्यान धरे जो कोई,
ता सम भक्त और नहीं कोई .

तुम अनाथ के नाथ सहाई,
दीनन के हो तुम सदा सहाई .

चारिक वेद प्रभु के साखी,
तुम भक्तन की लज्जा राखी .

नाम तुम्हारो लेत जो कोई,
ता सम धन्य और नहीं कोई .

जो तुम्हारे नित पाँव पलोटत,
नवों सिद्धि चरणा में लोटत .

सिद्धि तुम्हारी सब मंगलकारी,
जो तुम पे जावे बलिहारी .

जो तुम्हारे चरणा चित्त लावे,
ताकी मुक्ति अवसी हो जावे .

सत्य भजन तुम्हारो जो गावे,
सो निश्चय चारों फल पावे .

तुमहिं देव कुलदेव हमारे,
तुम्हीं गुरुदेव प्राण से प्यारे .

सत्य आस मन में जो होई,
मनवांछित फल पावें सोई .

तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई,
शेष सहस्र मुख सके न गाई .

मैं अति दीन मलीन दुखारी,
करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी .

अब पितर जी दया दीन पर कीजै,
अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै .

दोहा

पित्तरों को स्थान दो, तीरथ और स्वयं ग्राम
श्रद्धा सुमन चढ़ें वहां, पूरण हो सब काम

झुंझनू धाम विराजे हैं, पित्तर हमारे महान
दर्शन से जीवन सफल हो, पूजे सकल जहान

जीवन सफल जो चाहिए, चले झुंझनू धाम
पित्तर चरण की धूल ले, हो जीवन सफल महान

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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