Gupt Navratri: हिंदू धर्म में नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है. माघ मास में मनाई जाने वाली गुप्त नवरात्रि की शुरुआत इस बार 02 फरवरी से हो चुकी है, जो 10 फरवरी तक मनाई जाएगी. बता दें कि साल में दो प्रकट और दो गुप्त नवरात्रि मनाई जाती हैं. मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ के शुक्लपक्ष पक्ष की तिथि से नवमी तिथि तक गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है. इस दौरान देवी मां के विभिन्न स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है, साथ ही साथ दस महाविद्याओं की भी विधि-विधान से पूजा की जाती है. गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का पूजन और व्रत किया जाता है. इन दिनों देवी मां के स्वरूपों को हर दिन अलग-अलग तरह का भोग लगाया जाता है. गुप्त नवरात्रि के पहले दिन देवी मां को घी का भोग लगाया जाता है, इसी तरह शक्कर का भोग लगाने से माता प्रसन्न हो जाती हैं, ऐसा माना जाता है. आइए आपको बताते हैं देवी मां के नौ स्वरूपों के पसंदीदा भोग.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि साल में चार नवरात्रि आती हैं, जिसमें दो प्रत्यक्ष और दो अप्रत्यक्ष होती हैं. बता दें कि अप्रत्यक्ष नवरात्रि को ही गुप्त नवरात्रि कहा जाता है. मान्यताओं के अनुसार, गुप्त नवरात्र के दौरान अन्य नवरात्रों की तरह ही पूजा-पाठ किया जाता है. संभव हो तो नौ दिनों के व्रत का संकल्प लेते हुए पहले दिन घटस्थापना की जाती है. घटस्थापना के बाद प्रतिदिन सुबह-शाम के समय मां दुर्गा की आराधना करनी चाहिए.
देवी को लगाया जाता है ये भोग
घी (Ghee)
गुप्त नवरात्रि के पहले दिन देवी मां को सफेद चीजों का भोग लगाते हैं. मां के भक्त आज पीला वस्त्र पहनकर उन्हें घी का भोग लगाते हैं. मान्यता है कि आज के दिन देवी के चरणों में गाय का शुद्ध घी चढ़ाने से हर तरह के रोगों से मुक्ति मिल जाती है.
शक्कर (Sugar)
गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन मां को हरे वस्त्र पहनकर शक्कर का भोग लगाया जाता है. इस दिन माता को मिश्री, चीनी और पंचामृत का भोग लगाते हैं. माना जाता है कि इस दिन माता के प्रिय भोग का दान करने से उम्र बढ़ती है..
खीर (Kheer)
गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन देवी को दूध और उससे बनी चीजों का भोग लगाते हैं. मान्यता है कि इन चीजों का दान करने से देवी प्रसन्न होकर व्यक्ति को सभी दुखों और कष्टों का नाश कर देती हैं.
मालपुआ (Malpua)
गुप्त नवरात्रि की चतुर्थी तिथि को माता को मालपुआ का भोग लगाया जाता है. इस दिन माता के पसंदीदा नारंगी रंग के वस्त्र पहनकर उनकी पूजा-अर्चना करना शुभ माना जाता हैं. कहते हैं कि इस दिन मालपुआ से बना प्रसाद ब्राह्मण या फिर किसी भूखे व्यक्ति को दान करने से बुद्धि का विकास होता है.
केला (Banana)
गुप्त नवरात्रि के पांचवे दिन देवी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. माना जाता है कि इस दिन उजला वस्त्र पहनकर मां को केले का भोग लगाने के बाद प्रसाद को ब्राह्मण को देना चाहिए. कहते हैं कि ऐसा करने से सद्बुद्धि की आती है और देवी की कृपा बनी रहती है.
शहद (Honey)
मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि के छठे दिन लाल रंग के कपड़े पहनकर देवी को शहद का भोग लगाना चाहिए, ऐसा करने से देवी की कृपा बनी रहती है. कहते हैं कि इस दिन प्रसाद में शहद का प्रयोग करने से सुंदर रूप की प्राप्ति होती है.
गुड़ (Jaggery)
गुप्त नवरात्रि के सातवे दिन देवी मां की पूजा-आराधना की जाती है. इस दिन नीले वस्त्र पहनकर देवी को गुड़ का भोग लगाना शुभ माना जाता हैं. कहा जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति शोकमुक्त होता है.
नारियल (Coconut)
गुप्त नवरात्रि के आठवे दिन गुलाबी वस्त्र पहनकर देवी मां को नारियल चढ़ाते हैं. मान्यता है कि नारियल का भोग लगाने के बाद नारियल को सिर से घुमाकर बहते हुए जल में प्रवाहित कर देना चाहिए. माना जाता है कि ऐसा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं.
तिल (Til)
गुप्त नवरात्रि के नवे दिन बैंगनी रंग के वस्त्र पहनकर मां को विभिन्न प्रकार के अनाजों का भोग लगाया जाता है. देवी मां को इस दिन हलवा, चना-पूरी, खीर और पुए का भी भोग लगाया जाता है. इसके बाद गरीबों में इसे दान कर देना चाहिए. माना जाता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)