Gopashtami 2025: आज है गोपाष्टमी, जानें गोमाता की पूजा की सही विधि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व

Gopashtami Kab Hai: आज गोपाष्टमी का पर्व है, जिसे सनातन परंपरा में गोमाता की सेवा और पूजा के लिए अत्यंत ही शुभ और पुण्यदायी माना गया है. जिस गोमाता के शरीर में 33 कोटि देवताओं का वास होता है, आज उनकी किस विधि से पूजा करने पर पुण्य लाभ प्राप्त होगा, इसे जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
Gopashtami 2025: गोपाष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि
NDTV

Gopashtami 2025 Date Puja time and significance: आज कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि है, जिसे सनातन परंपरा में गोपाष्टमी के नाम से जाना जाता है. आज का दिन गोपूजा और गोसेवा के लिए अत्यंत ही शुभ और पुण्यदायी माना गया है. हिंदू मान्यता के अनुसार जिस गोमाता के शरीर में 33 कोटि देवी-देवता का वास होता है, उसकी पूजा गोपाष्टमी पर्व के दिन करने पर इंसान के सारे कष्ट दूर और कामनाएं पूरी होती हैं. सुख-सौभाग्य की कामना लिए आज गोपाष्टमी पर्व पर गोमाता की किस विधि से पूजा करना उचित रहेगा और इसे करने पर आपको क्या पुण्यफल की प्राप्ति होगी, आइए इसे विस्तार से जानते हैं.

गोपाष्टमी 2025 का शुभ मुहूर्त 

पंचांग के अनुसार इस साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का 29 अक्टूबर 2025, बुधवार को प्रात:काल 09 बजकर 23 मिनट पर प्रारंभ होकर 30 अक्टूबर, गुरुवार के दिन प्रात:काल 10 बजकर 06 मिनट पर समाप्त होगी. इस तरह उदया तिथि को आधार मानते हुए इस साल गोपाष्टमी का पावन पर्व 30 अक्टूबर 2025, गुरुवार के दिन ही मनाना उचित रहेगा. गोपाष्टमी के दिन सूर्योदय के बाद 10:06 बजे तक गोपाष्टमी की पूजा करना उत्तम रहेगा. 

गोपाष्टमी पर कैसे करें गोमाता की पूजा 

हिंदू मान्यता के अनुसार गोपाष्टमी के दिन गाय और उसके बछड़े की पूजा करना अत्यंत ही शुभ और फलदायी माना गया है. ऐसे में गोसेवा करने के लिए व्यक्ति को इस दिन स्नान-ध्यान करने के बाद सबसे पहले गोमाता को प्रणाम करके आशीर्वाद लेना चाहिए. इसके बाद गोमाता और गोवंश को स्नान कराकर उनकी सफाई करनी चाहिए.

इसके बाद गोमाता के शरीर को सुखाकर उनके सींग पर काले रंग का रंग लगाना चाहिए. इसके बाद गोमाता हल्दी, चंदन, रोली आदि से तिलक करें तथा उन्हें फल-फूल, धूप-दीप आदि अर्पित करके उनकी 'ॐ नमो देव्यै महादेव्यै सुरभ्यै च नमो नमः' मंत्र आदि से पूजा करें. गोपूजा करने के बाद उनकी आरती करना बिल्कुल न भूलें. 

गोपाष्टमी का धार्मिक महत्व 

गोपाष्टमी के पावन पर्व को गोसेवा के लिए सबसे उत्तम दिन माना गया है. यही कारण है कि मथुरा, वृन्दावन समेत पूरे ब्रजमंडल में इस दिन लोग पूरे विधि-विधान से गोसेवा और गोपूजा करते हैं. गोपाष्टमी की पूजा से जुड़ी मान्यता है कि जब भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र का अभिमान दूर करने के लिए गोवर्धन पर्वत को कनिष्ठिका अंगुली पर उठा लिया था तो इसी दिन इंद्रदेव ने अपनी गलती की माफी मांगते हुए अपने पराजय स्वीकार किया था.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Featured Video Of The Day
Sucherita Kukreti | एक बयान से Pakistan में कोहराम! Al Falah University पर बुलडोजर की बारी? | Delhi