Falgun Amavasya 2022: शिव और सिद्ध योग में फाल्गुन अमावस्या, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त

फाल्गुन अमावस्या 02 मार्च दिन बुधवार को पड़ रही है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान देने की परंपरा है, जिसका सनातन धर्म में विशेष महत्व है. अमावस्या के दिन भगवान शिव शंकर और भगवान श्री कृष्ण की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने का विधान है.

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Falgun Amavasya 2022: कब है फाल्गुन अमावस्या, जानें इसका महत्व और शुभ मुहूर्त
नई दिल्ली:

फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को फाल्गुन अमावस्या कहते हैं. इस वर्ष फाल्गुन माह का प्रारंभ 17 फरवरी से हुआ है. वहीं, फाल्गुन अमावस्या 02 मार्च दिन बुधवार यानी आज के दिन है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान देने की परंपरा है, जिसका सनातन धर्म में विशेष महत्व है. फाल्गुन अमावस्या इस बार शिव और सिद्ध योग में पड़ रही है, जिसे काफी शुभ माना जाता है.

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अमावस्या के दिन भगवान शिव शंकर और भगवान श्री कृष्ण की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने का विधान है. फाल्गुन अमावस्या के महत्व की बात करें तो ऐसी मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में सभी देवी-देवता साक्षात प्रकट होते हैं, इसलिए इस दिन नदियों में स्नान (Bathing in River) करके दान-पुण्य अवश्य करना चाहिए.

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सुख, संपत्ति और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए यह अमावस्या विशेष फलदायी मानी जाती है. मान्यता है कि फाल्गुन मास की अमावस्या के दिन व्रत, पूजन और तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त.

फाल्गुन अमावस्या तिथि और शुभ मुहूर्त

फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का प्रारंभ- 01 मार्च दिन मंगलवार को देर रात 01:00 बजे से हो रहा है. इस समय महाशिवरात्रि का समापन होगा. फाल्गुन अमावस्या तिथि का समापन- 02 मार्च को रात 11 बजकर 04 मिनट तक मान्य है.

उदयातिथि के आधार पर फाल्गुन अमावस्या 02 मार्च को है.

शिव और सिद्ध योग में फाल्गुन अमावस्या

साल 2022 में फाल्गुन अमावस्या दो शुभ योग में है. बता दें कि इस बार फाल्गुन अमावस्या शिव और सिद्ध योग में है. फाल्गुन अमावस्या के दिन शिव योग सुबह 08 बजकर 21 मिनट तक है. उसके बाद सिद्ध योग लग जाएगा, जो 03 मार्च को सुबह 05 बजकर 43 मिनट तक रहेगा.

फाल्गुन अमावस्या में पितर पूजा

फाल्गुन अमावस्या में पितरों की आत्म तृप्ति के लिए पिंडदान, श्राद्ध व तर्पण किया जाता हैं. बता दें कि इस दिन पितर पूजा 11:30 बजे से दोपहर 02:30 बजे तक की जाएगी. मान्यता है कि अमावस्या के दिन पितरों को तर्पण करने, श्राद्ध कर्म करने या फिर पिंडदान करने से वे प्रसन्न हो जाते हैं. कहते हैं कि पितरों के प्रसन्न होने से घर में सुख-शांति बनी रहती हैं और खुशहाल जीवन का आशीष प्राप्त होता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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